Book Title: Dravyanuyoga Part 4
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: Agam Anuyog Prakashan

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Page 680
________________ मिय ३८१ २८८ ३७२ मुत्त GG मुत्ति शब्द पृष्ठ नं. | शब्द पृष्ट नं. मित्तवाई (अकिरियावाईभेय) १३४० मेहुणवेरमण १६६०,८६ ९०१ | मेहुणसण्णा ३८०,३८३ मिय (हत्थी, पुरिसपगार) | मेहुणसण्णाकरण मियचक्क (पावसुय) ९०८ | मेहुणसण्णोवउत्त ३८१,३८२,१७५३,०३१ मियमण १८६५-१८६७ | मेहुणसन्ना १४१४,२३०३ मिलक्खू २१८ | मेहुणसन्नानिबत्ती मिस्स (पंचणामभेय) १०२२ मेंढमुह (अंतरदीवयमणुस्स) २१७ मीसजोणिय | मेंढलक्खण (पावसुय) ९०७ मीसदव्यखंध २५५१ | मेंढविसाणकेतणय १४६५ मीसय (उवही) मेंढविसाणकेतणासमाणामाया १४६५ मीसयदव्योवक्कम | मेंढविसाणकोरव १८३८ मीससापरिणय (पोग्गलपगार) २४६३ | मोक्ख २,४,१३१३,२५८५,२६०३ मीसापरिणय (पोग्गल) २४७६,२४७८,२४८४,२४८५, मोक्खकामय २११९ . २४८७-२४८९ | मोक्खकंखिय २११९ मीसिय (जोणी) मोक्खपिवासिय मुच्छा (मोहणिज्जकम्मणाम) १४८५ | मोयय मुच्छा २४२९ मोस (भासाजात) ७१३,७१७ मुणिपरिसा | मोस (मणपगार) मुणी १३४० मोस (आसवदार) १८२८ मोसभासग ७३१ मुत्तरूव १८२८ मोसभासाकरण मोसभासानिव्वत्ती मुत्तिमग्ग मोसमणजोग २३४१ मुत्तिसुह | मोसमणजोय मुदग्गजीव (विभंगणाणभेद) ९४१,९४३ | मोसमणप्पओग ७५०,७५२ मुम्मरोवम (नेरइयआहार) ४७८ मोसमणप्पओगपरिणय (पोग्गल) २४७८,२४८६,२४८८ मुसावाय १२५०,१२७०,१२८५,१२८८,१६६०,१७०२, मोसमणमीसापरिणय (पोग्गल) २४८४ २३०२,२३०३,२४२९,२५८५ मोसवइजोग २३४१ मुसावायविरय मोसवइजोय ७३६,२३४१ मुसावायवेरमण १६६०,२५८६ मोसवइप्पओग ७५० मुहुत्त १२९,१५३-१५५,१९८०,१९८१,२०१०,२०११, मोसवत्तिय (किरियाठाण) १२८९,१२९३ २०१२,२०१७,२१२२ मोसा (पज्जत्तियाभासा) मुहुत्तपुहुत्त मोह (अबंभपज्जवणाम) १४०० मुंड मोहणकर (पावसुय) मुंमुही . १६१५ मोहणिज्ज (कम्म) १२७१,१४८१-१४८५,१७९४,१४९८, १९३,१९४,१९६ | १५०७,१५२२,१५२६,१५५२,१५६५,१५६६,१५७२,१६३१, मूलगुणपच्चक्खाणी २३४,२३५ १६४६,१६४९,१६५० मुलगुणपडिसेवय १०९५,११२५ मोहणिज्जकम्मासरीरप्पओगबंध २५७४ मूलपगडिबंध (भावबंधभेय) १५४३,१५४४ मोहमहब्भयपयट्ठय (पाणवहसरूव) १३५२,१३६८ मूलपढमाणुओग ८७४ मोहर (पुत्तपगार) १८८३ मूलबीय ५२३ | मंगी (षड्जग्राममूर्च्छना) १०३५ मेइणि (पसत्थसरीरलक्खण) १४१७,१८९० मंडल मेस (सोउजणपगार) | मंडलियत्त मेहमुहा (अंतरदीवयमणुस्स) २१७ मंडियपुत्त (अणगार) १२३८,१२८१,१३३१ मेहा (अर्थावग्रहनाम) ८१४ मंडूयगई ७६८,७६९ मेहुण १२५०,१२८५,१२८८,१४१६,१४५५,१६६०, मंत (पावसुयपसंग) १७०२,२४२९,२५८५ मंताणुजोग (पावसुयपसंग) ९१० मेहुण (अबंभपज्जवणाम) १४०० मंद (हत्थी, पुरिसपगार) १८६४-१८६६ ७११ मूल १८९ ९१० P-85 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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