________________
પ્રકીર્ણક
सुत्तं -
१.
२.
३.
पइण्णग
सूत्र :
अव्वोच्छित्तिनय दिट्ठया अत्थिकायादीणं एगत्त परूवणं- १.
एगे धम्मे,
एगे अधम्मे,
एगे मोक्खे,
एगे पुणे, एगे पावे,
एगे आसवे, एगे संवरे । वियच्चादीणं एगत्त परूवणंएगा वियच्चा,
एगा तक्का,
एगा मण्णा, गाविण्णू
एगे छेयणे,
- ठाणं. अ. १, सु. ६-९
एगे भेयणे,
एगे संसुद्धे अहाभू पत्ते,
एगे दुक्ख जीवाणं एगभूए,
एगा अहम्मपडिमा जं से आया परिकिलेसइ ।
- ठाणं. अं. १, सु. १६ - ठाणं. अ. १, सु. १९
- ठाणं. अं. १, सु. २१
- ठाणं. अं. १, सु. २२
एगा धम्मपडिमा जं से आया पज्जवजाए ।
ठाणं. अं. १, सु. २४-२५
एगे उट्ठाण-कम्म-बल-वीरिय-पुरिसकार परक्कमे, देवासुर- मणुयाणं तंसि तंसि समयंसि ।
- ठाणं. अ. १, सु. ३४
१. एगे पाणाइवाए, ३. एगे अदिण्णादाणे,
Jain Education International
- ठाणं. अ. १, सु. २७-३०
एगे णाणे, एगे दंसणे, एगे चरित्ते,
समए, एगे से, एगे दंडे, एगे अदंडे, एगा सिद्धी, एगे सिद्धे,
एगे परिणिव्वाणे, एगे परिणिव्वए ।
ठाणं. अ. १, सु. ३५ - ठाणं. अ. १, सु. ३६ - सम. सम. १, सु. ६-७
अव्वोच्छित्ति नय दिट्ट्या पावट्ठाण णामाणि
- ठाणं. अ. १, सु. ३७
२. एगे मुसावा, ४. एगे मेहुणे,
२.
3.
પ્રકીર્ણક
द्रव्यार्थि नय दृष्टि खस्तिप्रय वगेरेना खेडत्वनुं
प्रपा :
૨૫૮૫
धर्म (धर्मास्तिकाय) खेड छे,
अधर्म (अधर्मास्तिकाय) खेड छे,
मोक्ष खेड छे,
एय खेड छे, पाप खेड छे,
श्रव खेड छे, संवर खेड छे. ચિત્તવૃત્યાદિના એકત્વનું પ્રરૂપણ : વિશિષ્ટ વિભૂષા એક છે, तई खेड छे,
भति खेड छे,
વિશિષ્ટજ્ઞાન એક છે, છેદન એક છે,
ભેદન એક છે,
જે સંપૂર્ણ શુદ્ધ યથાભૂત પાત્ર છે, તે એક છે. પ્રત્યેક જીવનું દુ:ખ એક છે અને એકભૂત છે. અધર્મ પ્રતિમા એક છે, જેના વડે આત્માને દુઃખ (परिलेश) प्राप्त थाय छे.
ધર્મપ્રતિમા એક છે, જેના વડે આત્મા પર્યવજાત (પુષ્ટ) થાય છે અર્થાત્ જ્ઞાન વગેરેની વિશેષ શુદ્ધિને પ્રાપ્ત हुरे छे.
દેવ-અસુર અને મનુષ્યોમાં એક જ સમયે સમાનરૂપે उत्थान, दुर्भ, जण, वीर्य, पुरुषार अथवा पराम होय छे.
ज्ञान खेड छे, दर्शन रोड छे, चारित्र खेड छे,
समय खेड छे, प्रदेश खेड छे. छड खेड छे, खदंड खेड छे, सिद्धि खेड छे, सिद्ध खेड छे. પરિનિર્વાણ એક છે, પરિનિવૃત્ત એક છે.
For Private Personal Use Only
દ્રવ્યાર્થિક નય દષ્ટિએ અઢાર પાપસ્થાનોના નામ : १. प्रशातियात खेड छे, २ भृषावाह रोड छे, 3. महत्ताहान खेड छे, ४. मैथुन खेड छे,
www.jainelibrary.org