Book Title: Dravyanuyoga Part 4
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: Agam Anuyog Prakashan
View full book text
________________
पृष्ठ नं.
१८३४,१८४२
१५०७ १०४९
दिट्ठि
२२०१,२२१५,२२५५ १२३५,१२४९
८७६
१२८९,१२९२
१४९२ २२१३ ७९२ ७९२ २५९५
१४९ १८८३
१८८१
दिब्ब
शब्द
पृष्ठ नं. शब्द दव्वपमाण १००६,१०११,१०१६,१०४८,१०५३,१०५७| दाहिणपच्चस्थिम (दिसा) दव्वपरमाणु
२५०२ | दाहिणपुरथिम (दिसा) दबपुरिस
१७७४ | दाहिणावत्त दब्बबंध
१५४३ | दिगिंछापरीसह दवलिंग
१०९७,११२७ | दिगुसमास दवलेस/दव्वलेस्स
११५६,११५८ | दिट्ठइय (अभिनयप्रकार) दब्बसमोयार
१०६४ | दिट्ठलाभिय दव्बसार (परिग्गहपज्जवणाम)
१४१८ दव्वसुय
९००-९०४ | दिट्ठिया (किरिया) दब्बसंजोग
१०४४ | दिट्ठिवाय दव्वसंसार
२५९२ | दिट्ठिवायसुयपरिमाणसंखा दवहोम (पावसुय)
९०८
| दिट्ठिविपरियासदंड (किरियाठाण) दवाइयंतियमरण
२१४३ | दिट्ठिसंपण्णया दव्वाणुपुब्बी
१००१,१०१४ | दिट्ठी दव्वादेस
२४९३-२४९५ दिट्ठीकरण दव्वाय
१०७१,१०७२,१०७४ दिट्ठीनिव्वत्ती दव्वावीचियमरण
२१४१,२१४२ दिट्ठीविपरियासियादंड दबिंदिय
६६९-६८२,२१२० दित्ती दवीकर
२११
दिन्नय (पुत्तपगार) दव्वेयणा
२६०६ दिवसपुहुत्त दव्वोगाहणा
दिवसभयय दब्बोवक्कम दब्बोहिमरण
२१४२ | दिव (मेहुण) दसण्ण (जणवय)
२१९ दिव्व (संवास) दसारगडिया
८७५ दिसाणुवाय दह
१३०,२८२
| दिसादाह (पावसुय) दाणलद्धी
९६३,९६४,१०२६ | दीण दाणसूर
२५९२
दीणजाई दाणंतराइय (कम्म)
१५०३ | दीणदिट्ठी दाणंतराय
१६५ | दीणपण्ण दाणंतराय (अंतराइयकम्मस्सअणुभावपगार)
१६४८ | दीणपरक्कम दामिणी (सरीरलक्खण)
१४१३,१८९०दीणपरिणय दामिलि (पावसुय)
दीणपरियाय दामिली (लिवी)
दीणपरियाल दार
१३०,२८२/दीणभासी दारूथंभ
१४६४ दीणमण दारूथंभसमाणमाण
१४६५ | दीणरुव दावरजुम्म १६,१७,२१४७,२१४८,२१५४,२१९०,२१९३, दीणववहार
२४४४-२४४६,२५४३-२५४७ दीणवित्ती दावरजुम्मकडजुम्म
२१६४ दीणसीलाचार दावरजुम्मकलियोय
२१६४,२१६५ दीणसेवी दावरजुम्मतेओय
२१६४ | दीणसंकप्प दावरजुम्म-दावरजुम्म
२१६४,२१६५ दीणस्सरया दावरजुम्मपएसोगाढ १७,२१५१,२४४५,२४४६,२५४५,२५४६ | दीणोभासी दावरजुम्मसमयट्ठिईय
२१५२,२४४७ दास (जहण्णपुरिसपगार)
१७७४ | दीव (दीपक)
१६७७ | दीवचंपय (ग) दाहिण (दिसा)
१४२,३०८-३१३,९३०दीह
२२१
१४५५
१४६० ३१,३०८-३१३
९०८ १८२१-१८२५
१८२४ १८२३ १८२३ १८२४ १८२२ १८२५ १८२५ १८२४ १८२२ १८२२ १८२३ १८२४ १८२३ १८२५ १८२२ १६४७ १८२५
दीव
१३०
१४५
दाह
१६६
Jain Education International
P-66 For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org
Page Navigation
1 ... 659 660 661 662 663 664 665 666 667 668 669 670 671 672 673 674 675 676 677 678 679 680 681 682 683 684 685 686 687 688 689 690 691 692 693 694 695 696 697 698 699 700 701 702 703 704 705 706 707 708 709 710 711 712 713 714 715 716 717 718 719 720 721 722 723 724 725 726 727 728 729 730 731 732 733 734 735 736 737 738 739 740 741 742 743 744 745 746 747 748 749 750 751 752 753 754 755 756 757 758 759 760 761 762 763 764 765 766 767 768 769 770 771 772 773 774 775 776 777 778 779 780 781 782 783 784 785 786 787 788 789 790 791 792 793 794 795 796 797 798 799 800 801 802 803 804 805 806 807 808 809 810 811 812 813 814