Book Title: Dravyanuyoga Part 4
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: Agam Anuyog Prakashan
View full book text
________________
शब्द
पृष्ठ नं. शब्द
पृष्ठ नं.
२३९९
२८२
२२९
८१०
८७१
३८१
परमाणुपोग्गलमत्त १४३,१४४,१५१ परिमियपिंडवाइय
१३१६ परमाहोहिय
९८७ | परिमंडल १२६,२४३५-२४४०,२४४४-२४४६,२५५४ पराघाय (आउभेयकारण)
परिमंडलसंठाण पराघायणाम (कम्म)
१५००,१५०२,१५०६,१६२७ परिमंडलसंठाणणाम पराजिणिय १८६७,१८६८ परिमंडलसंठाणपरिणाम
१२६ पराणुकंपय
१८१३ | परियादित (पोग्गलपगार) परारंभ २४०,११६६ | परियारणा
१४५७ पराहिकरणी
२४२
परिवाडियसम्मत्त परिइड्ढी
२०४४
परिहरणदोस (वाददोस) परिकम्म (दिट्ठीवायभेय) ८७०,८७१ परिहारविसुद्धलद्धी
९६४,१०२६ परिकम्म (सचित्तदव्योवक्कम)
परिहारविसुद्धियचरित्तपरिणाम परिखा
परिहारविसुद्धियचरित्तारिय परिग्गह २८७,१२५१,१२७९,१२८६,१६६०, परिहारविसुद्धियसंजम
१०९४ १७०२,२४२९,२५८६ परिहारविसुद्धियसंजय
११२१-११५० परिग्गह (आसवदार)
१३५२ परिमाण
२२०१ परिग्गह (परिग्गहपज्जवणाम)
१४१८ परीसह
१५०७,१५०८ परिग्गहअवेरमण (अधम्मत्थिकायनाम)
परूवणा परिग्गहवेरमण (धम्मत्थिकायनाम)
३८
परोक्ख परिग्गहवेरमण १४९०,१६६०,२३०२,२३०३,२४२९,२५८६
परोवक्कम
२०४३-२०४४ परिग्गहसण्णा
३८०,३८३,२२०४,२४४३ परंतकर
१८१४ परिग्गहसण्णाकरण
३८१ परंतम
१८१४ परिग्गहसण्णापरिणाम
१७१९ परंदम
१८१५ परिग्गहसण्णोवउत्त ३८१,३८३,१५१६,१७५३,२०३१,२०३२
परंपर (सूत्रभेद) परिग्गहसन्नानिबत्ती
परंपरखेत्तोगाढ परिग्गहसन्नोवउत्त १३४२,१५१७,२०३५,२१६८,२१८२
परंपरगय परिग्गहिया (किरिया) २६५,२६७,२६८,२७०,११७७,
परंपरनिग्गय
२०१९ ११८०,११८१,११८२ परिजिय
परंपरपज्जत्त
२६०,२०३४ ९०१ परिजुसियसंपण्ण (आहार)
४७८ परंपरपज्जत्तय
१७४४ परिणय
३८१,५५९,७९२,११८९,१४२५,१५४४,१५४५ परिणयापरिणय (सूत्रभेद)
परंपरसिद्धअसंसारसमावण्णजीवपण्णवणा ८७१
१६२
परंपरसिद्धकेवलनाण परिणाम
११९,१५०,१०८९ परिणामपच्चइय (साइयवीससाबंध)
परंपरसिद्धणोभवोववायगई परिणिबाण
४,२५८५
परंपरागम (आगमभेद) परिणिय
४,२५८५ परंपरावगाढ
२६०,२१३९ परितावणअण्हय (पाणवहपज्जवणाम)
१३५३ परंपराहार
२०३४ परितावणिया (किरिया)
१२५१-१२५४
परंपराहारग परित्त १५१,१५८,३०३,३४७,१५५७,१७०४,१७०५,२१०८
परंपरोगाढ
८,४९६,७२३,२०३४ परित्तमिस्सिया (अपज्जत्तियासच्चामोसाभासा)
७१२
परंपरोववण्ण परित्तसंसारय
१९६१,१९६२ परंपरोववण्णग
१७७,४९२,९३६,२००६,२००७ परित्तसंसारिय
१७८ परंपरोववन्नग
१३४७,१५२८,२०३४,२०३६,२१३८ परिन्नायकम्म
परंपरोववन्नगअपज्जत्तसुहुमपुढविकाइय
२१३८ परिन्नायगिहावास १८२६ परंपरोववन्नगएगिदिय
१५६९,२३११ परिन्नायसन्न १८२६ | परंभर
१८१५ परिपुण्णग (सोउजणपगार)
पल (उन्मानप्रमाणभेद)
१०५५ परिमण्डलसंठाणकरण २४०१ | पलाव (वयणविक्कप्प)
२६०१ परिमण्डलसंठाणपरिणाम २४०२ पलिउंचण
११५७ परिमाणसंखा १०५७ | पलिउंचणया
२४२९
१७२८
९२९
२६०
१८२६
P-74 For Private & Personal Use Only
Jain Education International
www.jainelibrary.org
Page Navigation
1 ... 667 668 669 670 671 672 673 674 675 676 677 678 679 680 681 682 683 684 685 686 687 688 689 690 691 692 693 694 695 696 697 698 699 700 701 702 703 704 705 706 707 708 709 710 711 712 713 714 715 716 717 718 719 720 721 722 723 724 725 726 727 728 729 730 731 732 733 734 735 736 737 738 739 740 741 742 743 744 745 746 747 748 749 750 751 752 753 754 755 756 757 758 759 760 761 762 763 764 765 766 767 768 769 770 771 772 773 774 775 776 777 778 779 780 781 782 783 784 785 786 787 788 789 790 791 792 793 794 795 796 797 798 799 800 801 802 803 804 805 806 807 808 809 810 811 812 813 814