Book Title: Dravyanuyoga Part 4
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: Agam Anuyog Prakashan

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Page 626
________________ शब्द पृष्ठ नं. शब्द पृष्ठ नं. अज्जरूव १८०८ | अणज्जपरिणय १८०७ अज्जववहार १८०९ अणज्जपरियाय १८११ अज्जवित्ती १८१० अणज्जपरियाल १८११ अज्जसीलाचार १८०९ अणज्जभाव १८११ अज्जसेवी १८११ अणज्जभासी १८१० अज्जसंकण १८०८ अणज्जमण १८०८ अज्जजाती १८१० अणज्जरूव १८०८ अज्झत्थवत्तिय १२९३ अणज्जववहार १८०९ अज्झयण ८२९,८३२,८३४,९९८ | अणज्जवित्ती १८१० अज्झयण (ओघनिष्पन्ननिक्षेपभेद) १०६७,१०६८ अणज्जसीलाचार १८०९ अज्झवसाण २७९,९४९,२२०१,२२०५,२२०७,२२१५, अणज्जसेवी १८११ २२३०,२२४०,२२४७,२२५१,२२५५ अणज्जसंकप्प १८०८ अज्झवसाण (आउभेयकारण) १६१६ अणज्जा १३६८ अज्झीण (ओघनिष्पन्ननिक्षेपभेद) १०६७,१०६९ अणट्ठादंड २५८७,२५९५ अज्झोरूहजोणिय ५२६,५२९ अणट्ठादंडवत्तिय (किरियाठाण) १२९० अट्ट (मुसावायपज्जवणाम) १३६९ अणत्त (पोग्गलपगार) २३९९ अट्टालग २८२ अणत्त (दुःखद) २४९६ अठियकप्प १०९३,११२३ | अणत्थ (परिग्गहपज्जवणाम) १४१८ अट्ठकर १८३१ अणत्थय (परिग्गहपज्जवणाम) १४१८ अट्ठपय (सिद्धश्रेणिकापरिकर्मभेद) ८७० अणभिग्गहिया (अपज्जत्तियाअसच्चामोसाभासा) ७१३,७१९ अट्ठपयपरूवणया १००२,१००९,१०१०,१०१४ | अणुवउत्त ४९२,४९३ अट्ठमभत्त ५०३ अणवकंखवत्तिया (किरिया) १२३७,१२४९ अट्ठभाइया १४६,१०५४ अणवट्ठिय (ओहिणाणपगार) अट्ठादंड २५८७,२५९५ अणवदग्ग १५१,१४१६,२१०८ अट्ठादंडवत्तिय (किरियाठाण) १२९० अणाइय १५०,१५१,१६७ अट्ठावइवीइ (सरीरलक्खण) १८९० अणाइपारिणामिय (पारिणामियभावभेद) १०२६ अट्ठावय (पसत्थसरीरलक्खण) १४१३ अणाइयवीससाबंध १५४३,२५५५ अट्ठिज्झाम १४८ अणाउत्तआइयणया (अणाभोगवत्तियाकिरिया) १२३७ अट्ठिथंभ १४६४ अणाउत्तपमज्जणया (अणाभोगवत्तियाकिरिया) १२३७ अट्रिथंभसमाणमाण १४६५ अणाएज्जणाम (कम्म) १६३० अट्ठी १४८ अणागतद्धा १५,३१ अडड १२९ अणागय अडडंग अणागयद्धा १५,२४३४ अड्डेज्ज (सोक्खपगार) १६८६ अणागयवयण (वयणपगार) अणकर (पाणवहपज्जवणाम) १३५३ अणागारपस्सी ७८७-७८९ अणक्खरसुय (सुयणाणभेद) ८२०,८२१ अणागारोवउत्त १२२,१५७,२७६,३६२,३६३,७७७-७७९, अणगार १३२,६०९-६२३,६२६,६३३,६३५,९८२-९८८, | ७८१,९४८,९७१,११०८,११३८,१३४२,१३४३,१३४५,१३४६, १३१४,१९०७,१९१२ | १५१६,१५१७,१५२२,१५२३,१५२६,१५२८,१५३१,१५३४, अणगारपासणया | १५३५,१५५८,१७५१,२०३१-२०३५,२१६८,२२०४,२३५२ अणज्ज १८०७-१८११ | अणागारोवउत्तभाव अणज्ज (पाणवहसरूव) १३५२,१३६८ | अणागारोवओग ७७४-७७६ अणज्ज (मुसावायपज्जवणाम) १३६९ अणागारोवओगनिबत्ती ७७५ अणज्जओभासी १८१० अणागारोवओगपरिणाम अणज्जदिट्ठी १८०९ | | अणागारोवयोग २३०३,२४३३ अणज्जपण्ण १८०८ अणाढायमाण १९४७,१९४८ अणज्जपरकम्म १८०९ | अणाणुगामिय (खओवसमियओहिणाणपच्चक्ख) ९१४,९१६,९२४ १४२ ७४१ ७८५ । P-31 For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org

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