Book Title: Dravyanuyoga Part 4
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: Agam Anuyog Prakashan
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गुत्ति
१४६७
शब्द पृष्ठ नं. शब्द
पृष्ठ नं. गुणाणंविराहण (पाणवहपज्जवणाम) १३५३ | गंगेय (अनगारनाम)
२१०८-२११२ गुत्त ४७,१८७३,१८७९ | गंडमाणिया
१४६ गुत्तदुवार ४७,१८७९ | गंडियाणुओग
८७४,८७५ गुत्तबंभचारी १९०७ | गंडीपया
२०९ गुत्तबंभयारी १३१४ | गंथ (सुयपरियायसह)
९०५
| गंथिम (मालाप्रकार) गुत्ति (अशुभप्रवृत्तिनिरोध)
७४७ गंध
१४,४१,९७,९३४,२३०१,२३४६,२४०० गुत्तिंदिया (इत्थीपगार) १८८० | गंधकरण
२४०० गुम्म १८५,१८७ | गंधचरिम
२३४८ गुरूगई (गतिप्रकार)
१७०१ | गंधणाम (कम्म)
१५००,१५०२,१५०५ गुरूफासपरिणाम २४०२ | गंधनिव्वत्ती
२८९.२४९९ गुरूलहुफासपरिणाम २४०२ | गंधपरिणय (वीससापरिणयपोग्गल)
२४७७,२४८५ गुरूवच्छलया (तीर्थंकरकर्मबंधहेतु) १४९२ गंधपरिणाम
१२५,१२७,२४०१ गुह २८२ गंधमंत (देव-आहार)
४७९ गुंजालिया २८२ गंधमंत
४९४ गूढदंत (अंतरदीवय) २१७ | गंधसमुग्गय
२३३८ गूढावत्त १४६६ गंधसंपण्ण
१८३८ गूढावत्तसमाणमाया
गंधव
१३,२३० गुहणया (मोहनीयकर्मनाम) १४८५ | गंधवलिवी
२२१ गृहणया २४२९ गंधव्ववाणमंतरदेव
२२५६,२२७५ गज्जे (कव्वपगार) ९९५ गंधवाणीय
१९५८ गेय (कव्वपगार)
९९५ | गंधार (स्वरभेद) गेय (गीत) ९९६ गंधारगाम (स्वरग्रामप्रकार)
१०३४ २११७ | गंधारि (पावसुय) गेही
२४२९ | गंधंग
१७७० गेही (मोहनीयकर्मनाम) १४८५ | गंभीर
१८४०,१८४१ गो (श्रोताप्रकार)
गंभीरहियय
१८४०,१८४१ गोकण्ण (अंतरदीवय) २१७ | गंभीरोदय
१८४० गोकिलिंज १४६ | गंभीरोदही
१८४१ गोण १४६ | गंभीरोभासी
१८४०,१८४१ गोणलक्खण (पावसुय) गोणावलि
१४६ घण (ततआउज्जसद्दभेय)
२५५३ गोत्त (कम्म)
१४८४ घण (वाद्य) गोपुर २८२ घणचउरंस (संठाण)
२४४२ गोमय
१४८ | घणतंस (संठाण) गोमुत्तिकेतणय १४६५ घणदंत (अंतरदीवय)
२१७ गोमुत्तिकेतणासमाणमाया १४६५ घणवट्ट (संठाण)
२४४० गोमुह (अंतरदीवय) २१७ घणवाय
२४३० गोय (कम्म) १२७१,१४८२,१४८४,१४९४,१५०३,१५२५, घणायत (संठाण)
२४४३ १५२७,१५६४,१५७०,१५७२,१६५०,१६५१ | घणियबंधणबंध (पयोगबंधभेय)
१५४३ गोय २३३७ | घणोदही
२४३० गोरि (पावसुय)
२८२ गोल १८७२ घणपरिमंडल (संठाण)
२४४४ गोह
१४६ | घाणविण्णाणावरण (णाणावरणिज्जकम्मस्सअणुभावपगार) १६४४ गोहावलि १४६ | घाणावरण (णाणावरणिज्जकम्मस्सअणुभावपगार)
१६४४
गेलन्नपुट्ठ
२४४१
घर
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