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प्रवचन-५१
० महामारी फैल सकती है यानी अनेक घातक रोग फैल सकते हैं। ० लोगों में विरोधभावना फैल सकती है, यानी वर्गविग्रह हो सकता है। ० डाकुओं का, चोरों का उपद्रव हो सकता है। ऐसे उपद्रव पैदा होने पर उस गाँव को छोड़ देना चाहिए। उपद्रव की संभावना लगते ही स्थानान्तर कर देना चाहिए। तब तक वहाँ नहीं रहना चाहिए कि बाहर निकलना ही असंभव हो जाय। __ अभी कुछ वर्ष पहले जयपुर के पास एक गाँव की नदी में बाढ़ आयी थी। नदी का पानी गाँव में बहने लगा कि गाँव के नवयुवक बाजार में निकल पड़े, लोगों को चेतावनी देने लगे....। लोग भी शीघ्र ही सलामत स्थान में पहुंचने लगे। परन्तु एक 'डबल बॉडी' सेठ नहीं माने! उन्होंने तो उन युवकों से कहा : 'भाई, मैं तो दूसरी जगह जा सकता हूँ, परन्तु मेरी यह तिजोरी का क्या होगा? आप लोग कृपा करके इस तिजोरी को सलामत जगह पहुँचा दोगे?'
युवक वहाँ कहाँ रूकनेवाले थे? वे तो चले गये! 'डबल बॉडी' सेठ तिजोरी को चिपक के खड़ा रहा! पानी बढ़ता जा रहा था....| सेठ वहाँ से हटा नहीं.....परन्तु आत्मा उसकी चली गई थी! क्या बचाना, क्या छोड़ना, इसका विवेक अनिवार्य है :
अचानक जब कोई उपद्रव पैदा हो जाय, उस समय क्या बचाना और क्या छोड़ देना, इसका त्वरित निर्णय करने की क्षमता होनी चाहिए | त्वरित निर्णय कर लेना चाहिए। यदि त्वरित निर्णय नहीं किया जाता है तो मौत की नौबत आ सकती है। समग्र परिवार पर आफत उतर सकती है।
कुछ बरसों पहले मद्रास और मद्रास के आसपास के गाँवों में वर्गविग्रह पैदा हो गया था। वहाँ की प्रजा में मारवाड़ी व्यापारियों के प्रति घोर रोष उत्पन्न हो गया था। मारवाड़ी व्यापारियों की कई दुकाने भी जलायी गई थी। उस समय जो समय को और परिस्थिति को समझनेवाले मारवाड़ी व्यापारी थे, वे तो परिवार को लेकर अपने वतन राजस्थान में पहुँच गये थे! संपत्ति और परिवार को राजस्थान में सेट कर दिया! वैसे एक भाई बम्बई में मुझे मिले थे! उन्होंने मुझे बताया कि 'अब हम लोगों को मद्रास से कब भागना पड़े, उसका पता नहीं है! इसलिए मद्रास में हमने इतना ही माल रखा है कि एक सूटकेस में आ जाय और सीधे एयरपोर्ट पर पहुँच सकें! हवाई जहाज में
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