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प्रवचन-५९ सरकार बुराइयों को प्रोत्साहन देती है : ___ परिस्थिति तो विकट है ही। फिर भी हमारे ऊपर ऐसा कोई दबाव नहीं है कि हमें इन पापों का सेवन करना ही पड़े। हमारे ऊपर किसी का जोर-जुल्म भी नहीं है कि हमें ऐसे घोर पापों का सेवन करना पड़े। अलबत्ता, इन पापों का प्रचार-प्रसार इस प्रकार हो रहा है कि मनुष्य न पापों को-दुष्कृत्यों को दुष्कृत्य ही न मानें! निन्दनीय कार्यों को प्रशंसनीय मानें! निन्दनीय कार्य 'फैशन' बन गये हैं। दुष्कृत्यों को सरकार का अनुमोदन प्राप्त हो गया है। सरकार इन दुष्कृत्यों का भरसक प्रचार-प्रसार कर रही है, चूंकि उसके पास प्रचार-प्रसार की विपुल साधन-सामग्री है। प्रचार-प्रसार के मुख्य तीन साधन हैं : अखबार, रेडियो और टेलिविज़न । ये तीनों साधन सरकार के पास हैं! जिन-जिन बातों को हमारे ज्ञानी पुरुष निन्दनीय बताते हैं, उन-उन बातों की घोर प्रशंसा हो रही है।
हमारे गुजरात की सरकार तो मत्स्य उद्योग चलाती है! दूसरे-दूसरे राज्यों की सरकारें भी कतलखाने चलाती हैं, परन्तु गुजरात की धरा तो अहिंसा की भावना से भरीपूरी धरती है। गुजरात के हजारों गाँवों के तालाबों में मछली मारने का निषेध था.... आज वहाँ की सरकार स्वयं मछलियाँ मारने का और बेचने का उद्योग चलाती है! है न आप लोगों का... जनता का दुर्भाग्य? मद्यपान-शराब का भी धड़ल्ले से प्रचार-प्रसार हो रहा है। जिन राज्यों में मद्यपान का निषेध था उन राज्यों में मद्यपान करने की इजाजत मिलने लगी है। शराब के 'लायसेंस' दिये जा रहे हैं। शराब की दुकानें खुलती रहती हैं। ___ सभा में से : लोग मानसिक तनाव से मुक्त होने के लिए शराब पीते होंगे
न?
___ महाराजश्री : हाँ, कुछ लोग ऐसे है कि जो मानसिक तनावों से मुक्त होने के लिए, 'रिलेक्स' पाने के लिए शराब पीते हैं, परन्तु ज्यादातर लोग तो मात्र वैषयिक आनन्द पाने के लिए, शरीर में गर्मी लाने के लिए और व्यसनपरवशता को लेकर शराब पीते हैं। 'टेन्शन' में से बचने का उपाय : ___ मानसिक तनाव से मुक्ति पाने के लिए दूसरे बहुत उपाय हैं, शराब पीना वास्तविक उपाय नहीं है। शराब पीने से कुछ समय के लिए मनुष्य अपनी चिन्ताएँ भूल जाता है, यह बात मानता हूँ परन्तु चिन्ताओं को थोड़े समय के
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