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प्रवचन-६१
१३२ से आप में वह गुण आ जायेगा । दोष देखने से व दोषानुवाद करने से तो आप दोषों के कीचड़ में फँस जाओगे। ___ एक सच बात मान लो कि दोषानुवाद-अवर्णवाद करने से दूसरों को जितना नुकसान नहीं होगा उतना आपको नुकसान होगा। सबसे बड़े दो नुकसान होंगे : चित्त का संक्लेश और शत्रुओं की वृद्धि होने से भय बढ़ेगा। ___ गृहस्थजीवन का चौदहवाँ सामान्य धर्म बताया गया है अवर्णवाद का त्याग | आज इस धर्म का संक्षेप में विवेचन किया है। अवर्णवाद का पाप घरघर में व्यापक बन गया है। आप स्वयं इस पाप से छूटने का संकल्प करेंगे, तो ही छूट पायेंगे। आप इस दिशा में पुरुषार्थशील बने, यही मेरी शुभकामना है।
आज बस, इतना ही।
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