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प्रवचन-६८
२११ २. परिवार में सभी को उचित वस्त्र मिलते हैं या नहीं? सबकी वेश-भूषा मर्यादाओं के अनुरूप होती है या नहीं? वस्त्रों के लिए रुपयों का दुर्व्यय तो नहीं होता है?
३. स्त्री-पुरूषों की मर्यादाओं का पालन हो सके, वैसा मकान है या नहीं? छोटे-बड़ों की मर्यादा का पालन हो सके, वैसी आवास-व्यवस्था है या नहीं?
४. लड़कों को और लड़कियों को उचित व्यावहारिक शिक्षा प्राप्त होती है या नहीं? संतानें बराबर अध्ययन करती हैं या नहीं?
५. परिवार में कोई बीमार होता है तो उसकी सही रूप से 'ट्रीटमेन्ट' होती है या नहीं? उसकी सार-संभाल ली जाती है या नहीं? परिवार के दूसरे सदस्य बीमार के पास बैठकर उसकी सेवा करते हैं या नहीं?
६. परिवार के सदस्य उचित धर्माराधना करते हैं या नहीं? धर्म के प्रति उनका लगाव है या नहीं?
७. घर में कौन आता-जाता है, कैसी-कैसी बातें होती हैं और घर के लोग कहाँ आते-जाते हैं - इसका पूरा खयाल होना चाहिए।
८. घर पर आनेवाले अतिथियों का कैसा आदर-सत्कार होता है, वह भी देखना चाहिए।
९. घर के लोग अपने-अपने कार्य सुचारुरूप से करते हैं या नहीं? अपने कार्य करने में वे उत्साहित हैं या नहीं?
१०. घर के लोग विनय, विवेक और मर्यादा का पालन ठीक ढंग से करते हैं या नहीं? ___ घर के-परिवार के बुजुर्गों को इतनी बातों का तो खयाल करना ही चाहिए। यदि इन बातों का लक्ष्य नहीं होगा तो परिवार नष्ट हो जायेगा। परिवार में असंख्य बुराइयाँ प्रविष्ट हो जायेंगी। परिवार की सेवा भी समाजसेवा ही है : __सभा में से : परिवार की उपेक्षा कर यदि कोई समाजसेवा करे अथवा देशसेवा करता रहे तो क्या उचित है?
महाराजश्री : अनुचित है। क्या आपका परिवार समाज से भिन्न है? परिवार की सेवा समाज की सेवा नहीं है क्या? परिवार क्या देश से भिन्न है? परिवार की उपेक्षा देश की ही उपेक्षा है। अपने परिवार की उपेक्षा करके
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