________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
प्रवचन-७२
२६३ २. विदग्ध अजीर्ण ३. विष्टब्ध अजीर्ण ४. रसशेष अजीर्ण/ आम अजीर्ण : यह अजीर्ण होने पर दस्त पतला आता है और उसमें से सड़ी हुई छाछ जैसी दुर्गंध आती है। __विदग्ध अजीर्ण : इस अजीर्ण में, दस्त में से दूषित धुएँ जैसी दुर्गंध आती
है।
विष्टब्ध अजीर्ण : यह अजीर्ण होने पर शरीर टूटता है.... शरीर के अवयवों में दर्द होता है। बेचैनी महसूस होती है।
रसशेष अजीर्ण : यह अजीर्ण होने पर शरीर में जड़ता आती है। शरीर शिथिल हो जाता है। ___ अजीर्ण के कुछ लक्षण बताये गये हैं, इन लक्षणों से मनुष्य समझ सकता है कि 'मुझे, अजीर्ण हुआ है।' वे लक्षण भी आप सुन लें :
१-२. दस्त और वायु की गंध बदल जाय, ३. प्रतिदिन जैसा दस्त आता हो, उससे भिन्न प्रकार का दस्त हो, ४. शरीर भारी-भारी लगे, ५. भोजन की रुचि ही पैदा न हो, ६. डकारें अच्छी नहीं आयें।
यदि ये लक्षण शरीर में दिखाई दें तो समझना कि अजीर्ण हुआ है। भोजन का त्याग कर देना चाहिए | दूध भी नहीं पीना चाहिए। अजीर्ण से बचो :
अजीर्ण से मनुष्य को पुनः-पुनः मूर्छा आ सकती है। शरीर में कंपन पैदा हो सकता है। शरीर ढीला पड़ जाता है और मौत भी आ सकती है। अजीर्ण से इतने सारे नुकसान होते हैं, यह जानकर क्या आप अजीर्ण में भोजन का त्याग करेंगे?
पहली बात तो यह है कि अजीर्ण होने देना ही नहीं चाहिए। आप यदि अपनी प्रकृति के अनुकूल भोजन करते हैं, क्षुधा लगने पर भोजन करते हैं, अधिक भोजन नहीं करते हैं, तो अजीर्ण होने की ९९ प्रतिशत संभावना ही नहीं रहती है। हाँ, कोई 'अशाता वेदनीय' कर्म का उदय हो जाय और रोग पैदा हो जाय, यह बात दूसरी है। अजीर्ण होने पर, आपका इतना मनोबल तो होना ही चाहिए कि आप उपवास कर सकें । भोजन की इतनी ज्यादा गुलामी किस
For Private And Personal Use Only