Book Title: Dhammam Sarnam Pavajjami Part 3
Author(s): Bhadraguptasuri
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba

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Page 217
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रवचन-६८ २०९ करना चाहिए | परिवार के प्रति अनेक कर्तव्य होते हैं, उन कर्तव्यों में परिवार का पालन-पोषण महत्त्व का पहला कर्तव्य होता है। परिवार को पर्याप्त भोजन, पर्याप्त कपड़े और रहने का मकान - ये तीन प्राथमिक आवश्यकताएँ देनी चाहिए। कड़ी मेहनत करके भी इतनी सुविधाएँ देनी चाहिए। यदि ये प्राथमिक सुविधाएँ नहीं देंगे तो परिवार का जीवन छिन्नभिन्न हो जायेगा। यदि पर्याप्त भोजन नहीं मिलता है, पर्याप्त वस्त्र नहीं मिलते हैं और रहने को घर नहीं मिलता है तो - १. हिंसा और चोरी का अनिष्ट परिवार में प्रविष्ट होता है। २. आत्महत्या होती है। ३. महिलाएँ शरीर बेचती हैं। ४. पारिवारिक क्लेश बढ़ता है। ५. आर्तध्यान-रौद्रध्यान होता है। जिस परिवार में ऐसे अनिष्ट प्रविष्ट हो जाते हैं, वह परिवार नष्ट हो जाता है। इसलिए परिवार के प्रति पूरा ध्यान देना चाहिए। पहली बात तो यह है कि जब तक परिवार के पालन की क्षमता न हो तब तक शादी ही नहीं करनी चाहिए। परिवार बढ़ाना ही नहीं चाहिए | परिवार में माता-पिता, आश्रित, स्वजन, धर्मपत्नी और नौकरों का समावेश होता है। जो लड़के धनार्जन करने में असमर्थ हों, उनका भी पालन करना चाहिए | जैनेतर शास्त्रों में तो यहाँ तक कहा है कि 'वृद्ध माता-पिता, सती स्त्री और शिशुओं का पालन अनेक अकर्म करके भी करना चाहिए।' वृद्धौ च मातापितरौ सती भार्यां सुतान् शिशून् । अप्यकर्मशतं कृत्वा भर्तव्यान् मनुरब्रवीत् ।। इतना ही नहीं, यदि संपत्ति हो तो दूसरों का भी पालन करना चाहिए | मित्र दरिद्र हो, भगिनी संतानविहीना हो, वृद्ध ज्ञातिजन हो और निर्धन कुलीन मनुष्य हो....तो उसका पालन करना चाहिए | इन सबका पालन-पोषण करने की शक्ति नहीं हो तो भी माता-पिता, पत्नी और छोटे बच्चों का पालन तो अवश्य करना ही चाहिए। 'मनु' ने तो इस बात पर कितना जोर दिया है? परिवार का पालन यदि न्याय-नीति और प्रामाणिकता से नहीं होता है, कुछ अकार्य करके धनोपार्जन For Private And Personal Use Only

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