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प्रवचन-६२
१५२ बात जब लड़का नहीं मानता है तब हम से सहा नहीं जाता है.... गुस्सा आ ही जाता है और कटु शब्द निकल ही जाते हैं....।' तो फिर लड़का भी यही बात करेगा न? 'मेरे माता-पिता मेरे साथ घोर दुर्व्यवहार करते हैं, मैं उनकी एक भी बात मानने को तैयार नहीं हूँ।' बस हो गया काम पूरा? ___ मैंने पहले ही कहा था न कि माता-पिता में सहनशीलता होनी चाहिए? संतानों की कुछ निर्दोष हरकतें सहन करनी ही होगी। मौन रहना होगा! और जब कहना ही पड़े तब वाणी में मधुरता ही चाहिए | __ सभा में से : मधुरता न हो तो चलेगा, कटुता तो नहीं होनी चाहिए। जब हमारे माता-पिता गालियाँ बोलते हैं तब हम क्या सीखेंगे? ___महाराजश्री : माता-पिता का अनादर करना सीखेंगे! माता-पिता का तिरस्कार करना सीखेंगे....और क्या सीखेंगे? ऐसे माता-पिता के वहाँ जन्म मिला, यह भी कर्मों का दोष है ना? क्यों सुसंस्कारी और गुणसंपन्न माता-पिता के वहाँ जन्म नहीं हुआ? दोष माता-पिता का नहीं देखना, अपने पापकर्मों के उदय का विचार करना। जिनको सुसंस्कारी और गुणसंपन्न माता-पिता नही मिले हों, कुसंस्कारी और दोषभरपूर माता-पिता मिले हों, वैसी सन्तानों को 'प्रह्लाद' बनना पड़ेगा। हो सकता है कि अयोग्य माता-पिता के घर में सुयोग्य संतान हो और सुयोग्य माता-पिता के घर में अयोग्य संतान हो। यह तो संसार है। संसार में विचित्रताओं की सीमा नहीं है। प्रज्ञावंत आत्मा अपनी आत्मा को बचा लिया करती है। अपने जीवन को दोषों से, पापों से बचा लेना ही बुद्धिमत्ता है। अपनी बुराइयों की जिम्मेदारी दूसरों पर थोपना, उचित नहीं है। यदि ऐसा करोगे तो बुराइयों से बच नहीं सकोगे। यदि संतान सुशील, प्रज्ञावंत और धीर-वीर होती है तो माता-पिता को भी सन्मार्ग पर ले आती है! परन्तु यह बात मैं आज नहीं करना चाहता। आज तो मुझे माता-पिता के कर्तव्यों का भान करवाना है....चूंकि उनको पूजनीय बनाना है। उन्होंने अपनी पूजनीयता खो दी है, वह वापस प्राप्त करवानी है। ___ माता-पिता होने मात्र से पूजनीय नहीं बन सकते। पूजनीय बनने के लिए गुणवान् बनना ही पड़ेगा, उपकारी बनना पड़ेगा! आप जानते हो न कि अपने देश में उपकारी तत्त्वों की पूजा कितने व्यापक रूप में होती है? सूर्य की पूजा होती है। चूंकि वह विश्व को प्रकाश देता है । चन्द्र की पूजा होती है, चूँकि वह औषधियाँ प्रदान करता है। वृक्षों की पूजा होती है....चूँकि वे फल देते हैं, छाया देते हैं। नदियों की पूजा होती है, समुद्रपूजन भी होता है। उपकारी की पूजा
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