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प्रवचन-५९
१२१ दी और कहा : 'तेरी बहन वह मेरी बहन है। इस गलत रास्ते जाती हुई उसे रोकना चाहिए | बहुत शान्त दिमाग से सोचकर रास्ता निकालना चाहिए। वह पैसे के लिए ही ऐसा काम करने को तैयार हुई है। मैं इनकार कर दूंगा तो वह दूसरे के पास जायेगी.... उसका जीवन नष्ट हो जायेगा।'
लड़की के भाई ने गंभीरता से कुछ सोचा और मित्र से कहा : 'उसको तेरे कमरे में आने दे, तेरी जगह मैं सो जाऊँगा....बाद में सब रास्ता निकल जायेगा।'
निश्चित समय पर वह लड़की होस्टेल में पहुँची। जिस कमरे में जाना था, उस कमरे में प्रवेश कर, कमरा भीतर से बंद कर दिया। धीरे-धीरे वह पलंग के पास पहुंची। लड़का चद्दर ओढ़कर सोया हुआ था। लड़की ने धीरे से उसके मुँह पर से चद्दर हटायी.... मुँह देखते ही चार कदम दूर हट गई। स्तब्ध हो गई। उसका शरीर काँपने लगा। आँखें चूने लगीं। भाई ने बहन को पाप से बचा लिया : ___ भाई पलंग से नीचे उतरा। बहन के सामने जाकर खड़ा रहा। धीरे से बोला :
'ऐसा गलत काम करने को तू क्यों तैयार हुई, यह मैं समझ सकता हूँ। परन्तु तूने तेरे-अपने सबके भविष्य का तनिक भी विचार नहीं किया । तूने मात्र तेरे शारीरिक सुखों का ही विचार किया। तुझे ढेर सारे पैसे चाहिए, क्योंकि पैसे से ही अच्छे वस्त्र, मौज-मजा और घूमने-घामने का सुख मिल सकता है। पैसे के लिये तू शरीर बेचने निकली है.... सही है न?' ___ बहन जमीन पर बैठकर रोने लगी। फूट-फूट कर रोने लगी। भाई पलंग पर बैठ गया। भाई की आँखें भी गीली हो गईं स्वर भर्रा गया। उसने कहा : ___ 'तु मेरी बहन है। एक ही बहन है। तेरे सुख के लिए मैं कितना सोचता हूँतुझे मालूम नहीं है। आज मेरे हृदय पर क्या बीती होगी, इसकी तू कल्पना भी नहीं कर सकेगी। यदि अपनी माँ को, अपने पिताजी को इस बात का पता लग जाय तो क्या वे जिंदा रह सकते हैं? 'हार्ट-एटेक' आये बिना रहे? क्या तू तेरे शारीरिक सुखों का ही विचार करेगी? तेरे मन का क्या होगा? तेरी आत्मा का क्या होगा? शरीर जब रोगो से भर जायेगा तब तू क्या करेगी? तब तेरा कौन होगा?
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