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प्रवचन-५२ साल बीत जाने पर भी रुपये वापस लौटाने का नाम नहीं। माँगने जायें तो लड़ने को तैयार! रुपये लौटाने का नाम नहीं!
अच्छा व्यक्ति समझकर घर में रखा! सुख-सुविधाएँ दीं। अपना समझकर रखा.... परन्तु उसने घर की लड़कियों के साथ ही दुर्व्यवहार किया! ___ कहिए, ऐसी घटनाएँ देखने के बाद, किसी को भी आश्रय देने की इच्छा होगी? सुयोग्य आश्रय, अयोग्य-कुपात्र व्यक्ति पा नहीं सकता है, यदि पा भी ले तो निभा नहीं सकता है। स्वयोग्य आश्रय पाना और वफादारी निभाना, गृहस्थ जीवन का सातवाँ सामान्य धर्म है। इस धर्म का पालन करके मानवता को उज्ज्वल करे, यही मंगल कामना ।
आज बस, इतना ही।
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