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प्रवचन-५३
४८ गुणीजन के लक्षण - सौजन्य, कृतज्ञता, दाक्षिण्य : ___ सभा में से : कैसे जाने कि 'यह पुरुष गुणवान् है?' गुणवानों की कोई निशानी?
महाराजश्री : जिस व्यक्ति में तीन बातें देखो, उसको गुणवान् मान सकते हो। जिसमें सौजन्य हो, दाक्षिण्य हो और कृतज्ञता हो, बस, ज्यादा देखने की जरूरत नहीं है। ये तीन बातें हों तो समझ लेना कि यह गुणवान व्यक्ति है। हालाँकि, यह तो समझ ही लेना कि वह व्यक्ति निर्व्यसनी तो होना ही चाहिए | मांसभक्षण, मदिरापान, जुआ, शिकार, परस्त्रीगमन, वेश्यागमन जैसे पाप तो उस व्यक्ति में होने ही नहीं चाहिए। वह व्यक्ति हिंसक, असत्यवादी, चोर और लोभी नहीं होना चाहिए। यानी बात-बात में हत्या कर देनेवाला नहीं होना चाहिए, बात बात में असत्य-झूठ बोलनेवाला नहीं होना चाहिए, चोर के रूप में प्रसिद्धि नहीं होनी चाहिए और ज्यादा लोभी नहीं होना चाहिए। ऐसा गुणवान् व्यक्ति खोज कर उसके साथ सम्बन्ध स्थापित करना चाहिए।
सौजन्य-सहृदयता महान् गुण है। वास्तव में जो महापुरुष होते हैं उनमें यह गुण होता ही है। यह गुण जिसमें नहीं हो, वह कभी महापुरुष नहीं बन सकता है। महाकवि निरालाजी की निराली सहृदयता :
महाकवि निरालाजी के जीवन की एक घटना है। यूँ भी निरालाजी अकिंचन जैसे ही थे। कोई दुःखी, कोई गरीब को देखकर उनसे रहा न जाता.... उनका सौजन्य उस व्यक्ति का दुःख दूर करने के लिए प्रेरित करता। ज्येष्ठ महिना था, तेज धूप गिर रही थी... मध्याह्न का समय था। निरालाजी अपने मकान के द्वार पर खड़े थे। उन्होंने रास्ते पर एक कृशकाय वृद्ध पुरुष को देखा । वृद्ध का देह मात्र हड्डियों का ढाँचा था।
सिर पर लकड़ियों का बड़ा गट्ठर उठाया हुआ था। निराला दौड़े उस वृद्ध के पास, उसके कान में कुछ कहा और उसका लकड़ियों का गट्ठर उठाकर, उस वृद्ध को अपने घर में ले आये। वृद्ध को बिठाया, लकड़ियों का गट्ठर उसके पास रखा और वे घर के भीतर चले गये।
कुछ दिन पूर्व ही निरालाजी के कुछ मित्र, निरालाजी के लिए बाजार से कुछ वस्त्र और जूते खरीदकर लाये थे। निरालाजी जूते और वस्त्र लेकर बाहर आये और उस वृद्ध को कहने लगे : 'बाबा, यह पहन लो....।'
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