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प्रवचन-५४ लेना, मैं उसको समझा दूंगी। लड़का है न....बाहर लोग कुछ बातें करते हैं, इसने सुनी होगी, इसलिए बोल दिया....।' परन्तु गणेश के मन का समाधान नहीं हुआ। उसने सोचा : ‘अब यह लड़का बड़ा होता जायेगा। मेरा और नीला का संबंध उसके खयाल में आ जायेगा। नीला उसकी माँ है | उसके मन में हम दोनों के प्रति द्वेष होगा ही और कोई संकट पैदा हो सकता है। नीला को छोड़कर अब मैं जा नहीं सकता। किसी भी प्रकार इस लड़के को हटा देना चाहिए मेरे मार्ग में से। प्रबल कामवासना इन्सान को क्रूर बना देती है :
राग जब प्रबल हो उठता है, तब मनुष्य को पशु-हिंसक पशु बना डालता है। प्रबल कामवासना मनुष्य को मनुष्य नहीं रहने देती.... क्रूर पशु बना देती है। गणेश ने बच्चे की हत्या कर देने का सोचा। उसने नीला को कोई बात नहीं की, क्योंकि वह जानता था कि नीला को अपने बच्चे पर बहुत प्रेम है। बच्चे की हत्या की बात वह सुन भी नहीं सकेगी। बाहर से गणेश भी बच्चे से प्रेम करता रहा! ताकि नीला को शंका पैदा न हो जाय।
गणेश ने अपना प्लान बनाया । अपने एक एन्लो-इन्डियन मित्र को तैयार किया। एक टैक्सी किराये की लेकर, दोनों मित्र स्कूल छूटने के समय स्कूल के पास पहुँच गये। लड़का 'मोर्निंग' स्कूल में पढ़ने जाता था। स्कूल का समय पूरा हुआ, लड़के अपने-अपने घर जाने लगे | गणेश 'मेइन गेट' पर ही खड़ा था। नीला का लड़का जैसे बाहर आया, गणेश ने कहा : 'मुन्ने, मैं तुझे लेने आया हूँ, गाड़ी लेकर आया हूँ। तेरी मम्मी जोगेश्वरी गई है, तुझे वहाँ चलना है।'
लड़के को कार में बिठा दिया और कार जोगेश्वरी की ओर भागी। जोगेश्वरी के जंगल में पहुँच कर, कार वाले को पैसे दे दिये और कार वापस कर दी। लड़का रोने लगा। 'मुझे मेरी माँ के पास ले चलो....मुझे मेरी माँ के पास जाना है....।' वह एक पेड़ के नीचे बैठ गया। गणेश का मित्र जो ऐंग्लो-इन्डियन था, उसको लड़के पर दया आ गई। उसने कहा : 'क्यों मारना चाहिए लड़के को? खून छिपा नहीं रहेगा। बंबई की पुलिस कहीं से भी हत्यारे को पकड़ लेती है। यदि पकड़ा गया तो जिंदगी बरबाद हो जायेगी....।' गणेश की आँखें लाल होती जा रही थीं। उसका चेहरा क्रूर-कठोर बनता जा रहा था। मित्र कुछ दूर जाकर खड़ा रहा। इधर लड़का जोर-जोर से रोने
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