________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
प्रवचन-५७
१०१ कभी नहीं बढ़ायीं ।' 'लिप्टन-टी' आज विश्व में प्रसिद्ध है न? उस लिप्टन-टी कम्पनी का मालिक टॉमस लिप्टन, प्रारंभिक जीवन में प्रति सप्ताह मात्र दस शीलिंग कमाता था। उसमें से भी वह कुछ रुपये बचाए रखता था। बाद में प्रति सप्ताह लाखों डोलर कमाने लगा था। आज विश्व भर में इस कम्पनी के दस हजार एजेन्ट हैं। ___ फालतू खर्च बंद करके रुपये बचाने चाहिए, नहीं कि धार्मिक खर्च बंद करके! एक हिस्सा धार्मिक कार्यों में खर्च करने का तो रखना ही। भोजन से, अच्छे वस्त्रों से और अच्छे मकान से आपको बाह्य संतोष प्राप्त होगा, परन्तु जिन्दगी मात्र बाह्य आवश्यकताओं की पूर्ति से संतुष्ट नहीं होती है, जिन्दगी जो भीतर की है, उसकी संतुष्टि के लिए भी कुछ करना आवश्यक होता है। कुछ अन्तरात्मा की प्रेरणा से अच्छे कार्य भी करते रहो। भीतर की चेतना को संतुष्ट रखो। जो गरीब हैं, अनाथ हैं, अपंग हैं उनको भोजन-वस्त्र आदि देना | प्यासे को जल देना। निरक्षर को ज्ञान देना, साधुपुरुषों की सेवा करना, मंदिरों का निर्माण करना अथवा अपनी शक्ति के अनुसार सहयोग देना, धर्मशाला बनाना, तीर्थयात्रा करना, रूग्ण की सेवा करना, इत्यादि अनेक सत्कार्य हैं | जो भी सत्कार्य आपके मन को जॅचे, आप करते रहो। अच्छे कार्य को स्थगित मत रखो। जिन्दगी का पता नहीं, कब वह समाप्त हो जाय... इसलिए अच्छा कार्य अविलंब करो । एक अध्यात्म के कवि ने कहा है :
‘खबर नहीं या जग में पल की, सुकृत करना हो सो कर ले,
कौन जाने कल की?' इस जगत में एक पल का भी भरोसा नहीं हैं। तुझे जो सुकृत-सत्कार्य करना हो वह कर ले, कल का क्या पता?
धर्मकार्यों के लिए एक हिस्सा अपनी 'इन्कम' में से रखते हो तो सत्कार्य करने का उत्साह बना रहेगा। मन उदार बना रहेगा। पैसे का संकोच नहीं रहेगा। हाँ, धर्मकार्यों में भी इतना ज्यादा खर्च नहीं करना चाहिए कि कुटुम्बपरिवार के पालन में क्षति पहुँचे । बचत नहीं हो सके । कुछ लोग धर्मकार्यों में अपनी शक्ति से भी ज्यादा खर्च करते रहते हैं और बचत करते नहीं, कर्जा बढ़ाते रहते हैं अथवा लोगों के जो रुपये उनके पास जमा होते हैं, वे रुपये खर्च कर देते हैं! इससे नयी आफत पैदा होती है। धर्मकार्यों में ज्यादा रुपये
For Private And Personal Use Only