Book Title: Comprehensive Critical Dictionary of Prakrit Languages Volum 01
Author(s): A M Ghatage
Publisher: Bhandarkar Oriental Research Institute
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अट्ठ
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अट्ठ
meditation, Uvas. p. 127 (P. L. Vaidya); Uvav. 56.
wish, AMg. तेसिं णं देवाणं दोहि वाससहस्सेहि आहारटे समुप्पज्जइ भट्ट (attha <artha) m. (n.) [older form of attha Dartha Samav. 2.22; तर ण ते समणा णिग्गंधा जामालिस्स अणगारस्त एयमदूं ef. Hem.(Gr.) 2. 33 अट्ठो प्रयोजनम्, अत्थो धनम् ] I meaning of a विणएण पडिमुणेति Viy. 9.33.94 (9.226): तए णं से फेसी राया ... word, Fentenee or utterance, A.Mg. तत्थ णं जे से चउत्थे अंगे समवाए उद्दायणं रायं एवं वयासी-भण सामी, किं देमो किणा वा ते भट्ठो Viy. त्ति आहिए। तम्स गं अयम? Samar. 1.3:एए णं भंते नव पदा किएगट्ठा 13.6.29 (13.114); पुच्छति ... अट्ठाई परियादियंति Viy. 12.1.9 नाणाघोसा नाणावंजणा उदाहु नाणट्ठा नाणापोसा नाणावंजणा Viy. 1.1.5 (12.3); अयमाउसो आजीवियसमए, अढे अयं परमटे सेसे अणटे viy. 15.4 (1.12); थेरा सामाइयं न जाणंति, परा सामाइयस्स अटुं न याति Viy. (15.1); तए ण पुंडरीए, कंडरीय एवं वदासि. भद्रो भंते भोगे हि Navi. 1.9.21 (1.423): जाव च णं समणे भगवं महावीरे भगवओ गोयमस्स 1.19. 36; एवं जहा जीवाभिगमे जाव अट्ठो जाव धुवा णियया सासया एयम, परिकहेइ vis.2.1.19 (233); एगस्स वि आरियस्स ... सुवयणस्स Jambuddi. 1. 113 एयम सपेहाए पासे समितदंसणे Utt. 6.4; 7 wealth. सवणयाए किमंग पुण विउलस्स अट्ठम्स गहणयाए Viy. 9.335 (9.139); profit, AMg. अप्पेगे अट्टाए वहति Ayar. 1.1. 6.55 आयटुं सम्म समणुमुए नाम परिब्वायर होत्या ... संखसमए, लद्धटे Naya. 1.5.523; तर णं सा वासेन्जासि Ayar. 1.2.1.5%; आसेवित्ता एयम8 Ayar. 1.3.2.33; अटाए उन्झिया एयमटुं धम्म सत्थवाहस्स पटिमुणेश Nayi. 1.7.23; तए णं जेटूपुत्ते अणट्ठाए एएसु चेव विप्परामुसंति Ayar. 1.5.1.15 JM. धायारोग्गं सद्धा आणंदस्स समणोवासगस्स 'तह ' त्ति एवमटुं विणएणं पडिसुणे Uras. 67; गाहग उवओग अट्ठो य ArNi. 881.1 (अन्यदीया) (comm. अट्ठो त्ति उबंगाणं भंते समणेण जाव संपत्तेग के अटे पण्णत्ते Niray.33; से किं संगहस्स अर्थित्वं च AvTI.(H.) 341a.6); JS. लयणसयणासणं भत्तपाण-कामटूहेऊ अणोवणि हिया दब्वाणुपुम्बी । पंचविहा पण्णत्ता, तं जहा - अपयपरूवणया वा ।... झाणनिगमप्पसत्यं Mila. 683(7) .... अणुगमे Anuog. 115; अट्ठजुत्तागि सिक्खिज्जा निद्वाणि उ वजए Utt. अट्ठ (attha<astan) nas. eight, AMg. एयाणि तिण्णि पडिसेवे अट्ठ1.83; एयमद्रं निसामेत्ता Utt. 9.8; एएणणेण अट्रेण परो जेणुवहम्मई मासे व जावए भयवं Ayar. 1.9.4.53 अट्ठ मयट्ठाणा पण्णत्ता Satpav. 8.13 Dasave. 7. 13; अण्ण गटं लेणं भएज सयणासणं Dasure. 8.51; गिहिणो तए गं तं मेहं कुमारं अम्मापियरो साइरेगट्ठवासजायगं चेव ... कलायरियस्स उपभोगट्टा Dasave. 9.9.13: तए णं से उसमदत्त माहणे देवाणंदाए माहणीए उवणेति Nayi. 1.1.84; अट्ठ हिरणकोडीओ निहाणपउत्ताओ, अट्ठ वड़ि
अंतिए एयं अटुं सोचा निसम्म Kapp.(.J.) 8%BJ8. समणमुहुग्गदमटुं चतुग्गदि- पउत्ताओ अट्ठ पवित्थरपउत्ताओ भट्ठ वया दसगोसाहस्सिएणं वएणं Uris. णिवार सन्निवार्ण । समयमियं सुणह Paffeatthi.21; मुणिऊण एतदटुं 127; 232; अट्ठण्हं रायवरकन्नगाणं एगदिवसेणं पाणिं गेण्डाति Antar.93B तदणुगमणुज्जदो जिहदमोहो। पसमियरागहोसो हवदि Pulicatthi. 104; सत्तट्ठपयाई अणुगच्छइ RayPa.8; मज्झे अटु जोयणाई विक्खंभेणं Jambuddi. 2 faet, misterial objeet, topie, AMx. दोसिणा इ य चंदलेस्सा 1.8; से गं तत्थ ... अट्ठाहं मग्गमहिसीणं सपरिवाराणं ... आहेवच्चं ... इ य के अट्ठे कि लक्खणे SuraP. 16.25 न निविजंति संसारे सब्बढेसु व कुणमाणे विहरइ Pannav. 2.50 (197[2]); एगा य होइ रयणी अद्वैव य खत्तिया Utt. 3.5; तम्हा सुयमहि द्विजा उत्तमटुगवेसए Utt. 11.32; तहे- अंगुलाई साहीया। एसा खलु सिद्धाणं जहण्णमोगाहणा भणिया Fannav. 2.67 वाणागतं अद Dauve. 7.8; भगवओ महावीरस्स ... महापडिरूवं उग्गहं (211ga. 165): से गं अंगठ्ठयाए अट्ठमे अंगे, एगे मुयक्खंधे. अद्र वग्गा अद्र अणुजाणेत्ता सेणियस्स रण्णो बंभसारस्म एयमटुं पियं णिवेरह Dash. 10.4; उद्देमणकाला अट्ठ समुद्देसणकाला Nandi. 94; छ होसे अट्ट गुणे तिण्णि य सप्परिसा साहिति अपणो अटू MIbAPnee. 80: परमनिट्रियट्टा सिद्धा वित्ताणि दोविण भणितीओ। जो णाही सो गाहिद सुसिक्खितो रंगमज्झम्मि सिद्धि मम दिसंत Av. 573; JM. तओ से उदायणे अणगारे तमद्रं पत्ते ... Anuog. 260. g. 463 पडिकमामि सत्तहि भयदाणेहि अहिं मयदाणेहि दुक्खपहीणे त्ति Erz. 34.5: JS. उप्पाजदि जदि णाणं कमसो अट्टे पडुच्च नवहिं बंभचेरगुत्तीहि v. 263 इच्छामि पडिकमि जो मे देवसिओ अइयारो पाणिस्स Pavsa. 1.50; एगम्मि संति समए संभवठि दिणाससविणदा अट्ठा कओ ... अट्टाहं पवयणमाऊणं Av. 15; उत्तरपुरस्थिमे दिसीभाए अट्ट भद्दासPavsi. 2.51; अट्ठारओ णवट्ठो जीवो दसट्ठाणगो भणिदो Paieatthi. 72; णाई ... रयावेइ Kapp.(J.) 63; वासावासं पज्जोसवियाणं इह खलु निग्गठाणं जीवाजीवा भावा पुण्ण पावं च आसवं नेसि । संवरणिज्जरबंधो मोक्खोय हवंति ते वा निग्गंठीणं वा, इमाई अट्ठ मुटुमाई... पढिलेहियब्वाई भवंति Kapp.(s.) 443 अट्ठा Palicatthi 108; उत्तमअटुं आदा तम्दि ठिदा हादि मुणिवरा कन्मं अट्ठ कुक्कुडिअंडप्पमाणमेत्ते कवले आहारं आहारेमाणे निग्गंथे अप्पाहारे NiySA. 92; 3 matter, desired thing, Alig. णो खलु वयं देवाणुप्पिया Vars. 8.16%3 JM. केवलनाणं तओ समुप्पन्नं । चोत्तीसं च अइसया अट्ट महाएयमढे जाणामो पासामो वा Thina. 3. 336 (174): से तेण्टेणं गोयमा एवं बुचइ पाडिहेरा य PaumCa.(V.) 5.60; अट्ठहिं पत्थावेहिं सिद्धताओ तह कहे मि Vis. 1.2.11 (1.47); अस्मि च णं अटे णो पमाश्यब्वं Naya. 1.5. 33; MaVICa.(G.) 20.5(1); अट्टेव मुणह मासे हिअयपरिवज्जिएण दिटेण नो इगट्टे समद्रे AnD0g. 366; 4 purpose, reason, cause, Afg. से RitSamu. 103%; उपरविणासे दिटे पडिमाए अट्ठमासे य (आउ) RitSamu. केगं खाइ णं अट्रेणं भंते एवं बुधति, सभं अगुगवेसइ, नो परायगं भंडं अणु- 119; सच्चमसञ्चं उभय असचमोस मणो वई अट्ट PaffSum..c.) 1.4 (p.3); गवेसइ Viy. 8.5.3 (8. 232); इमाई चणं एयारूवाई अट्ठाई हेऊहिं पसि- चत्तारि अट्ट दोन्नि य कायवईमाणसेसु कमा PaiSam.(C.) 1.23 (p. 10); णाई कारणाई वागरणाई पुच्छित्तए. vis. 2.1.17 (2.31); 5.4.39 दिनाओ अटु धूवाओ कुमारस्स Erz. 16. 35%8 JS. तत्थ इमाणि अटु अणियोग(5.113); तए णं से दढपरपणे केवली सहि भत्ताई अणसणाए छेदित्ता जस्स- द्दाराणि णायवाणि भवंति Satāg.1.1.5 (Dhavali अनुयोगो नियोगो भाषा ट्ठाए कीरइ नग्गभावे तमई आराहित्था Uvar. 116; 127; 128; से केणटेणं विभाषा वार्तिकेत्यर्थः । उक्तं च- अणियोगो य गियोगो भासविभासा य वट्टिया भंते एवं बुचति -तेजनो संखेजा नो असंखेजा, अर्णता Anuog. 4033; चेव 1.154.1; et. AVNI. 131); अट्ठ दुगतिगचउक्के (संकमो) KaiPi. JM. कामटुन्थो सुहओ चउत्थपुरिमस्थगाणं पि KumaCa.(H.) 3.73 रइणा- 37 चउतीसअइसयगुणा होति हु तस्सट्ठपडिहारा BodPd. 32; णाणावरणाहरइमहुच उट्ठो। कामठुत्थो (मलयाणिलो) (9omm. कामस्य अर्थः प्रयोजनं दीहि य अट्ठ वि कम्मे हि वेढिओ य अहं BhaPA. 17; जीवाजीवसमुत्थे अर्थों धनं यस्य) KumaCa(H.) 8.7अयमेव निग्गंथे पावयणे अष्ट्रे सेसे ककडमउगाहि अट्ठभेदजुदे । फासे सुहे य असुहे फासणिरोहो असंमोहो MOB. अण? ति भावणाभावियमई KKoPra. 12.
3 5aim, intention, 21(1); णिस्संकिद-णिक्खंकिद-णिब्विदिगिछा समूढदिट्ठी य। उवगृहणठिदिकरण gonl, AMg. गोयमा सुभे सूरिए, सुभे सूरियस्स अट्टे Viy. 14.9.13 वच्छल्लपभावणा य ते अट्ठ (सुद्धी) Mala. 201(5); CariPs. 7 M. गअस्स (14.132): सेकेणट्रेणं भंते एवं सुबह-सिय सासया, सिय असासया कंसपासं। बावीसादहणवअट्ठवासवासो SrIRav. 11.18 Apn. अट्ठ वि कम्म। Jivabhi. 3.700; M. मणियं च राइणा पियवयंस सो चेय तत्थ पत्तट्ठो Lils. बहुविह{ Parmapp. 1.55 अगुरायपरंपर परमसुहिण तें दीसहि रयणिहि अटु 110; सव्वकलापत्तट्ठो चाई सूरो सुहाराहो 1113. 845; 6 need, desire, मुविण PANACa.(P.) 6.1.9; मंगलदव्वट्ठ पवित्त दित्त SudCa.(N.) 1.9.6%3
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