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अधिवेशन के लिये कम से कम उपस्थिति या कोरम-गण-पूरक या हिप ।
पृष्ठ १९० से २०७ ग्यारहवाँ अध्याय प्राचीन बौद्ध काल की सामाजिक अवस्था चार वर्ण-ऊँच नीच का भाव-समान वर्ण में विवाह सम्बन्धक्षत्रियों की प्रधानता-क्षत्रिय-ब्राह्मण-वैश्य-शूद्र-मेगास्थिनीज़ के अनुसार सामाजिक दशा-ब्राह्मण ग्रंथों के अनुसार सामाजिक दशा ।
पृष्ठ २०८ से २२१ बारहवाँ अध्याय प्राचीन बौद्ध काल की सांपत्तिक अवस्था ग्रामों की सांपत्तिक अवस्था-नगरों की सांपत्तिक अवस्था-व्यापार और वाणिज्य-व्यापारिक मार्ग-समुद्री व्यापार-व्यापारियों में सहयोग।
पृष्ठ २२२ से २४२ तेरहवाँ अध्याय
प्राचीन बौद्ध काल का साहित्य भाषा और अक्षर-प्राचीन बौद्ध काल का पाली साहित्यसुत्त-पिटक-विनय पिटक-अभिधम्म पिटक-प्राचीन बौद्ध काल का संस्कृत साहित्य ।
पृष्ठ १४३ से २५३ चौदहवाँ अध्याय
प्राचीन बौद्ध काल की शिल्प-कला चतुर्दश शिलालेख-दो कलिंग शिलालेख-लघु शिलालेख-भाव शिलालेख-सप्त स्तंभलेख-लघु स्तम्भलेख-दो तराई स्तंभलेख-तीन गुहालेख ।
पृष्ठ २५४ से २६८ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com