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दक्षिण भारत के संस्मरण मद्रास की धार्मिक प्रजा प्रतिवर्ष हजारों रुपये धार्मिक काम में लगातो है । इन्द्रपुरी समी यह नगरी अपना अलौकिक स्वरूप रखती है । यहां पर कई परोपकार के स्थान हैं जिनमें मुख्य ये हैं
दयासदन यहां प्रायः ७०० दर्दी, निराश्रित व संतप्त लोग रखे गये हैं। उन्हें नास्ता, भोजन, औषधि तथा वस्त्र दिये जाते हैं। लावारिस बच्चों को पढ़ाया जाता है। उद्योग मन्दिर भी इसीमें है जिसमें स्लेटें, स्लेट पेंसलें व एलुमेनम के चम्मच व वस्त्र बनाने के काम हो रहे हैं। इसका उद्घाटन प्रायः ३ वर्ष पूर्व श्री लक्ष्मणसूरिजी महाराज व राजगोपालाचारी के द्वारा हुवा था ! जीवन के करुण चित्र व संसार का सच्चा प्रदर्शन देखना हो एवं धन का वास्तविक उपयोग करना हो तो यह स्थान एक ही है। इसमें जैनों की व सरकार की सहायता है।
पांजरापोल-मनुष्यों के स्वार्थ से निचोड़ी जा चुकी दुग्ध शुष्का गौमाताओं का यह आश्रय स्थान है। बहुत विस्तृत स्थान में अनेक पशुओं को रखा जाकर उनकी संभाल की जाती है। दुग्धशाला भी इसीके अंतर्गत चलती है। यहां अशक्त व सशक्त दोनों प्रकार की गाय भैसें हैं। मद्रास का यह काम अनुसरणीय है।