Book Title: Yatindravihar Digdarshan Part 01
Author(s): Yatindravijay
Publisher: Saudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh
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________________ इसमें संवत् 1982 ज्येष्ठशुक्ल 11 बुधवार के दिन व्याख्यानवाचस्पति मुनि श्रीयतिन्द्रविजयजी महाराज के पास महोत्सव पूर्वक प्रतिष्ठा कराके मूल नायक विहरमान भगवान् श्रीसीमन्धरस्वामीजी, श्रीबाहुस्वामीजी, श्रीसुबाहुस्वामीजी, श्रीपार्श्वनाथस्वामीजी और गौतमस्वामीजी की प्रतिमाएँ बिराजमान की / मु• कुकसी (धार)" छठ्ठा ज्ञान-मन्दिर जो पंचायती धर्मशाला में शिखरबद्ध बना हुआ है / इसके भीतर एक आलमारी में हस्त लिखित और मुद्रित ग्रन्थों का संग्रह है और मूलद्वार के सम्मुख एक ताक में श्रीमद् विजयराजेन्द्रसूरीश्वरजी महाराज की मनोहर मूर्ति बिराजमान है। ____ कुकसी से तीन मील के फासले पर 'तालनपुर' नाम का एक छोटासा इन्दौर-रियासत का गांव है / यहाँ जैनों का एक भी घर नहीं है, परन्तु जिन-मन्दिर तीन हैं, जिनमें सब से बडे मन्दिर में भगवान श्रीऋषभदेव स्वामी की सवा हाथ बडी श्वेत वर्ण की भव्य मूर्ति स्थापित है। कहा जाता है कि दहिने भाग के पिछाडी के एक किसान के खेत के जीर्ण कुए से यह मूर्ति प्रगट हुई है / दूसरा मन्दिर गोडी-पार्श्वनाथ भगवान् का जो कुकसी निवासी गोमाजी नेमचंद जवरचन्द पोरवाड का बनवाया हुआ है और इस में विराजमान मूर्चि की प्रतिष्ठा सं० 1950 महासुदि 2 सोमवार के दिन जैनाचार्य श्रीमद्विजयराजेन्द्रसूरीश्वरजी महाराजने की है। इसके वामभाग की बगल में तीसरा एक दिगम्बर-मन्दिर है और इससे