Book Title: Yatindravihar Digdarshan Part 01
Author(s): Yatindravijay
Publisher: Saudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh
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________________ 165 ओरवाड़ा___यह छोटा गाँव है, जो सुगरीनदी के ठीक दहिने तट पर है। इसमें श्रोसवालों के 25 घर और एक पक्को छोटी धर्मशाला है। धर्मशाला की पिछली पड़तल जमीन पर जिनालय की नींव भरी पड़ी है लेकिन आपसी रंज के कारण मन्दिर नहीं बना / यहाँ के जैन भी आचार-विचार और धार्मिक भावना से रहित हैं। 166 सायला सूकड़ी (सुगरी) नदी के दहिने तट पर यह कसबा बसा हुमा है / यहाँ प्रोसवाल जैनों के 128 घर हैं, जो सनातनत्रिस्तुतिक संप्रदाय के और अति श्रद्धालु हैं। सदर चोक्टे में शिखरबद्ध अच्छा जिनमन्दिर है और उसमें मूलनायक श्रीपार्श्वनाथजी की श्यामवर्ण की दो हाथ बड़ी तथा उनके दोनों तरफ इतनी ही बड़ी दो मूर्तियाँ विराजमान हैं। इसमें पाषाण की कुल प्रतिमाएँ दश हैं और इसके प्रवेशद्वार के ऊपरी भाग में एक शिलालेख इस प्रकार लगा हुआ है-- श्रीविजयराजेन्द्रसरिभ्यो नमः / श्रीसौधर्मबृहत्तपोगच्छीय त्रिस्तुतिक जैनश्वेताम्बर-सायलानगर के सकल संघने इस मन्दिर को बनवाया, और इसमें सं० 1971 माघसुदि 14 शनिवार के दिन श्रीविजयधनचन्द्रसूरिजी महाराज के हाथ से प्रतिष्ठांजनशलाका करा के श्रीपार्श्वनाथ भगवान् आदि (10) प्रतिमाएँ बैठाई." गाँव से पश्चिम ब्रह्मपुरी के फला पर ( बाहर के समतल