Book Title: Yatindravihar Digdarshan Part 01
Author(s): Yatindravijay
Publisher: Saudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh
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________________ ( 292 ) श्रीकमलकलशसूरिजी से तपागच्छ में एक कमलकलशा नाम की शाखा जुदी निकली है / उक्त लेखवाली धातुमय आदिनाथ प्रतिमा के प्रतिष्ठा-कार जयकल्याणसूरिजी इसी शाखा के आचार्य समझना चाहिये, जिनकी वंशावली उक्त लेख में ही मौजुद है। इसी चतुर्मुखविहार के प्रथम खंड में द्वितीयादि ( पूर्व, दक्षिण और पश्चिम ) द्वारों में स्थापित धातुमय जिनप्रतिमाओं की पलांठी के नीचे प्रायः एक ही किस्म के लेख हैं। उनमें से एक प्रतिमा का लेख नीचे मुताविक है संवत् 1518 वर्षे वैशाख वदि 4 दिने मेदपाटे श्रीकुंभलमेरुमहादुर्गे राजाधिराजश्रीकुंभकर्णविजयराज्ये तपापक्षीयश्रीसंघकारिते श्रीअरबुदानीतपित्तलमयप्रौढश्रीआदिनाथमूलनायकप्रतिमालंकृते श्रीचतुर्मुखप्रासादे द्वितीयादिद्वारे स्थापनार्थ श्रीतपापक्षीयश्रीसंघेन श्रीआदिनाथवि कारितं / डूंगरपुरनगरे राउलश्रोसोमदासराज्ये प्रोसवाल सा० सामा भा० कर्मादे पुत्र सा० माला सा० साल्हा कारितविस्मयावहमहोत्सवैः प्रतिष्ठितं तपाश्रीसोमसुंदरमूरिपट्टे श्रीमुनिसुंदरमूरि श्रीजयसुंदरमूरि, मुनिसुंदरसूरिपट्टे श्रीरत्नशेखरमूरिपट्टे श्रीलक्ष्मीसागरसूरिभिः श्रीसोमदेवमूरिप्रमुख परिवारपरिवृतैः / डूंगरपुरे श्रीसंघोपक्रमणसूत्रधारलुंभालांपाद्यैर्निर्मितं / -विक्रम सं० 1518 वैशाख वदि 4 के दिन श्रीकुंभलमेरुमहादुर्ग ( मेवाड ) के महाराजा कुंभकर्ण के वर्तमानराज्य