Book Title: Yatindravihar Digdarshan Part 01
Author(s): Yatindravijay
Publisher: Saudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh

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Page 310
________________ ( 291 ) प्रतिष्ठा का महान उत्सव सं० सोना के पुत्र सं० जिणा और आसाकने अपनी स्त्री आसलदे तथा उसके पुत्र परिवार से कराया / सलावट वाछा के पुन सू० देवा के पुत्र सू० अरबुद पुत्र सलावट हरदासने यह मूर्ति बनाई। इस लेख से चतुर्मुखविहार ( अचलगढ-मन्दिर ) का बन वानेवाला पोरवाड सं० सहसाशाह सिद्ध होता है। उक्त लेख के अनुसार सहसाशाह की वंश परम्परा इस प्रकार है पोरवाड कुरपाल संघवी। सं. रत्ना सं. धरणा सं. लाखा सं.सलखा सं.सोना सं. सालिग स्त्री सुहागदे सं. जिणा सं.आसाक (स्त्री आसलदे) सं. सहसाक (1 स्त्री संसारदे) सं.खीमराज (बी रमादे) (2 स्त्री अनुपमदे) सं. देवराज सं.जयमल सं.मनजी

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