Book Title: Yatindravihar Digdarshan Part 01
Author(s): Yatindravijay
Publisher: Saudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh
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________________ ( 294) पवित्र तीर्थ श्रीअरबुदाचल (आबूजी) की दयाणा 1, लोटाणा 2, नांदिया 3, अजारी 4 और वामनवाड 5; ये पंचतीर्थी मानी जाती हैं और इन पंचतीर्थियों में मूलनायक श्रीमहावीरस्वामी की सुन्दर और प्राचीन प्रतिमाएँ विराजमान हैं, जो जीवितस्वामी के नाम से प्रसिद्ध हैं / नांदिया, अजारी और वामनवाड इन तीनों तीर्थों में 52 जिनालय सौधशिखरी भव्य जिन मन्दिर बने हुए है। दयाणा में 4, लोटाणा में 7, नांदिया में 62, नांदिया गांव में 10, अजारी में 166 और वामनवाड में 65 इस प्रकार आबूजी की पंचतीर्थी के जिन-मन्दिरों में देवकुलिकाओं सहित छोटी बड़ी पाषाण और धातु की सब मिला कर 374 जिन प्रतिमाएँ हैं जो विक्रम की 12 वीं और 13 वीं सदी की प्रतिष्ठित हैं / पिंडवाडा-स्टेशन से वामनवाड 2 कोश, नांदिया 3 कोश, लोटाण 2 कोश, और दयाणा 2 कोश; अथवा रोहिडा-स्टेशन से नीतोरा 4 कोश, नीतोरा से दयाणा 2 कोश, लोटाणा 2 कोश, नांदिया 2 कोश, और वामनवाड 3 कोश; इस प्रकार एक एक के परस्पर अन्तर (छेटी) जानना चाहिये।