Book Title: Yatindravihar Digdarshan Part 01
Author(s): Yatindravijay
Publisher: Saudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh

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Page 297
________________ (278) (36) 3-" श्री पार्श्वप्रभुको नमस्कार हो / सं० 1671, शाके 1536 चैत्रवदि 15 सोमवार के दिन श्रीपार्श्वनाथ के मन्दिर में श्री चन्द्रप्रभस्वामी का मन्दिर बनवाया / इसके बनवाने में रुपया 20156) खर्च हुए और वे जालोर के खां पहाडखान गजनीखान के राज्य समय भीनमाल के सोलंकी वीदा के रहने के दोकडा सहित पार्श्वनाथजी-मंदिर में से खर्च हुए / इसकी प्रतिष्ठा उदयमान वडवीरशाखाके भावचन्द्र के शिष्य भट्टारक विजयचन्द्ररिजीने की। यह लेख चन्द्रप्रभ के मन्दिर को बनानेवाले सलावट जसा सोढा देदाने उकेग (खोदा) है।" पृ० 206 (37) 4-" श्री श्रुत को नमस्कार हो / सं० 1212 वैशाखसुदि 3 गुरुवार के दिन रतनपुर के राजा श्रीरायपालदेव के पुत्र महाराज सुवर्णदेव के प्रतिभुजा समान महाराजाधिरान श्रीरत्नपालदेव के चरणकमलों का सेवक पादपूज्य भंडारी वीरदेव के पुत्र महं० देवहृत् साढा, पातू सन्मति की माता सलखणा के श्रेयोऽर्थ और धान्यरक्षक तथा उसके वेचनेवाले पूज्य जूपा के कल्याणार्थ श्री ऋषभदेव की यात्रा में राजा की माता जागेरबली के निमित्त 100 द्रम्म दिया। इस मन्दिर में प्रवेश करते हुए देवकस्मलने लखावत के श्रेय निमित्त 100 सुवर्ण के व्याज में 16 बेल भेट किये / लाखा साढा श्रादि श्रावकों के सहित सेसमलने प्रतिवर्ष पूजा के लिये 12 द्रम्म समर्पण किये / महामंगल तथा शोभाकारक हो।" पृ० 207

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