Book Title: Yatindravihar Digdarshan Part 01
Author(s): Yatindravijay
Publisher: Saudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh

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Page 298
________________ ( 279) 2 जाखडी १-"सं० 1921, शाके 1786 प्रथम माघसुदि 7 गुरुवार के दिन कच्छदेश के मालनपुर निवासी दशा भोसवाल मामडागोत्रीय सेठ नरसी नाथा भार्या कुंअरबाई पुत्र सेठ हरसंगभाईने पालीताणा में श्रीअनन्तनाथ भगवान् का बिम्ब भराया और उसकी प्रतिष्ठा अंचलगच्छीय भ० रत्नसागरसूरीश्वरजीने की।" पृ० 213 (39) 2-" सं० 1921, शाके 1786 प्रथम माघसुदि 7 गुरुवार के दिन कच्छदेश के सांधाणनगर वासी दशाओसवाल लोडाइया धुलागोत्रीय शा० मांडण तेजसी भा० कुंभाबाई पुत्र शा० माणकने पालीताणा (गिरिराज) में श्रीपार्श्वनाथजी का बिम्ब भराया और उसकी प्रतिष्ठा अंचलगच्छ नायक श्रीरत्नसागरसुरिजीने की / " पृ० 214 1 रतनपुर 1- महादेव के लिये नमस्कार हो, पाताल, मर्त्य और स्वर्गलोक में व्याप्त जिसको तुम याद करते हो उस महादेव के पीठदेव को नमस्कार करता हूं.... समस्त राजावलि से विराजमान, महाराजाधिराज परमभट्टारक परमेश्वर पार्वतिपति लब्धप्रौढप्रताप श्रीकुमारपालदेव के राज्य समय में महाराज भूपाल श्रीरायपालदेव की हुक्मत में आये हुए रत्नपुर संस्थान के मालिक पूनयादेव की महाराणी श्रीगिरिजादेवीने संसार और जीवितव्य की असारता का विचार करके, प्राणियों को अभयदान देना महादान है ऐसा समझ के, नगर निवासी समस्त ब्राह्मण, पूजारी, महाजन,

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