Book Title: Yatindravihar Digdarshan Part 01
Author(s): Yatindravijay
Publisher: Saudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh
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________________ ( 287 ) श्रीलक्ष्मीसागरसूरिजीने सुधानन्दनसूरि, सोमजयसूरि, और महोपाध्याय जिनसोमगाण आदि परिवार से उस की प्रतिष्ठा ( अंजनशलाका ) की। ___ मंत्री गदा अहमदावाद का रहनेवाला, गुर्जरज्ञाती के श्रीमाली महाजनों में आगेवान और राजमान्य था / इसने इस प्रतिष्ठा के लिये अहमदावाद से बडा भारी संघ निकाला था, जिस में सेकडों हाथी, घोडे, हजारों मनुष्य और सातसौ गाडियाँ थीं। आबू पर आने बाद इसका स्वागत भानु (भाणजी) और लक्ष (लाखा ) आदि राजाओंने किया था। आबू पर इसने एक लाख सोना महोर खर्च के प्रतिष्ठा, संघभक्ति और स्वामिवच्छल किया था। भीमसिंह के सौधशिखरी जिनमन्दिर में छोटी बडी जिनप्रतिमाओं की संख्या इस मुताबिक समझना चाहिये 1 धातुमयमूलनायक-आदिनाथ / 4 मूलनायकजी के परिकर में छोटी / 4 धातुमय इतर प्रतिमा / 38 पाषाणमय जिनप्रतिमा / 5 मूलद्वार के ऊपर छोटी पाषाण प्रतिमा / 1 श्रीगौतमस्वामीजी की मूर्ति / .64 देवकुलिकाओं की प्रतिमा / 20 देहरीगत प्रतिमाओं के परिकर में छोटी / 137