Book Title: Yatindravihar Digdarshan Part 01
Author(s): Yatindravijay
Publisher: Saudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh
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________________ (239) इन लेखों से साफ जाहिर होता है कि थिरापद्रगच्छ के अनेक आचार्यों के करकमलों से जुदे जुदे स्थान पर अनेक जिनप्रतिमाओं की प्रतिष्ठाएँ हुई हैं और यह गच्छ मारवाड, गुजरात, मेवाड और काठयावाड़ आदि देशों में भी फेला हुआ था / श्रीसौधर्मबृहत्तपोगच्छ-मुखमंडन-सुविहित-भूरिकुलतिलक साधुक्रियोद्धारकारक-जैनशासनसम्राट-परमयोगिराजकलिकालसर्वज्ञकल्प-जङ्गमयुगप्रधान-जगत्पूज्य श्री श्री 1008 श्रीमद्-विजयराजेन्द्रसूरीश्वरचरणकमलचतुरभृङ्गायमाण-व्याख्यानवाचस्पत्यु-. पाध्याय-मुनि श्रीयतीन्द्रविजयसङ्कलिते___ 'श्रीयतीन्द्रविहार-दिग्दर्शनो' नाम / ऐतिहासिकग्रन्थे प्रथमो .. . भागः समाप्तः / बोण-सु-निधि-चन्द्र में, पौषमास जयबन्त। 'शुक्लपक्ष गुरु-सप्तमी, संपूरण यह ग्रन्थ // 1 //