Book Title: Yatindravihar Digdarshan Part 01
Author(s): Yatindravijay
Publisher: Saudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh
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________________ परिशिष्ट नम्बर 2. इस दिग्दर्शन में दर्ज किये गये संस्कृत-शिलालेख और प्रशस्तिलेखों का हिन्दी-अनुवाद / 3 राजगढ़- (1). ___“वि० सं० 1982 मगसिर सुदि 15 सोमवार के दिन राजगढ़ निवासी लालचंद और चम्पालाल खजानचीने श्रीराजेन्द्रसूरीश्वरजी महाराज की चरणपादुका कराई और उनकी प्रतिष्ठा (अजनशलाका) मुनिश्री यतीन्द्रविजयजीने की / " पृष्ट 43 ___ राजगढ़ के मध्यभाग में श्रीमहावीरप्रभु के भव्य जिनालय के बांये तरफ बने हुए विशाल राजेन्द्रभवन के व्याख्यानालय के होल में एक बारसोपलकी छोटी देहरी में ये चरण-पादुका विराजमान हैं। (2) " श्रीसौधर्मबृहत्तपोगच्छीय श्रीविजयराजेन्द्रसूरीश्वरजी महाराज का सं० 1963 पोष सुदि 6 शुक्रवार के दिन (रात्रि के प्रथम प्रहर में ) राजगढनगर में निर्वाण (स्वर्गवास ) हुआ। उनके शरीर का अमिसंस्कार संघने मोहनखेडा में किया और वहीं पर प्रवर्तिनी श्रीमानश्रीजी के सदुपदेश से आरसोपल की छत्री ( भव्यदेहरी ) तैयार करवाई 1-2. श्रीमान् यतीन्द्रविजयजीने राजगढ़ में तीन महिना ठहर