Book Title: Yatindravihar Digdarshan Part 01
Author(s): Yatindravijay
Publisher: Saudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh
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________________ ( 263.) 1 मादडी- (11) १-सं० 1288 ज्येष्ठसुदि 13 बुधवार के दिन पंडेरक गच्छीय श्रीयशोभद्रसूरि की सन्तान में दुस्साधु श्रीउदयसिंह के पुत्र श्रीयशोवीर मन्त्रीने अपनी माता की बगीची में जिनयुगल (खडे आकार की दो जिनप्रतिमाएँ) कराई और उनकी प्रतिष्ठा ( अञ्जनशलाका ) श्रीशान्तिसूरिजीने की। पृ० 144 3 सांडेराव- (12) . .. .. १-संवत् 1197 वैशाख वदि 3 के दिन थिरपाल शुभंकरने पं० जिनचन्द्र गोष्ठिक के सहित सिद्धि की कामना से पंडेरकगच्छीय विजयदेवनागाचार्य की प्रतिमा कराई। पृ० 153 (13) . २-सं० 1221 माघवदि 2 शुक्रवार के दिन राजा केल्हणदेव के समय में उसकी माता आनलदेवीने पंडेरकगच्छीय मन्दिर के मूलनायक श्रीमहावीरप्रभु की जन्मतिथी चैत्रसुदि 13 उजमने के लिये राजकीय भोगमें से युगन्धरी (जुमार ) का एक हाएल दिया। तथा इसी कल्याणक तिथी के निमित्त राठौरवंशीय पातु, केल्हण और उनके भतीजे उत्तमसिंह, सूद्रग, काल्हण, पाहड, प्रासल, अणतिग आदिने तलारा की आवक में से एक द्रम्म अर्पण किया और इसी प्रकार सांडेराव के रथकार धनपाल, सूरपाल, जेपाल सिगडा, अमियपाल, जिसहड, देल्हण. मादिने जुमार का एक हाएल भेट किया।" पृ० 154 ..