Book Title: Yatindravihar Digdarshan Part 01
Author(s): Yatindravijay
Publisher: Saudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh
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________________ (241) राणा के खिताब से राज्य किया। धीरे धीरे वजाजी राणाने 51 गाँवो पर अपनी सत्ता जमा कर इस कसबे को स्वस्थान बना लिया / वस, तब से अब तक यह स्वस्थान उन्ही के वंशजों के अधिकार में है और इसके वर्तमान राणा हरिसिंहजी है. तथा उनके तखतसिंह नामका एक पुत्र है। . इस कसबे का क्षेत्रफल 380 चौरस मील है / स्वस्थान की कुल वस्ती 8279 मनुष्यों की और वावकसबे की आबादी 2658 मनुष्यों की है / यह कसबा उत्तर अक्षांस 24-18, और पूर्वरेखांश 71-37 है / यहाँ पर कमसे कम 46 और अधिक से अधिक 112 डीग्री तक गरमी पडती है / इसके उत्तर सांचोर ( मारवाड ), दक्षिण सुईगाम, पूर्व थराद और दक्षिण कच्छ का रण है / इसकी उत्तर-दक्षिण लंबाई 25 मील, और पूर्व-पश्चिम पहोलाई 15 मील है / यहाँ के राण को काठीयावाड के पांचवे वर्ग के दीवानी और फोजदारी का अधिकार है। ....यहाँ श्वेताम्बर श्रीमाल ओसवाल जैनों में मन्दिरमार्गियों के 100, और तेरहपंन्थी दुढियों के 50 घर हैं। गाँव में हो उपाश्रय, एक थानक और तनि मन्दिर है / सब से बडे जिनमन्दिर में सर्वधातु की. 3 // फुट बडी श्रीअजितनाथ भगवान की अति सुन्दर मूर्ति विराजमान है / इसकी प्रतिष्टा विक्रम संवत