Book Title: Yatindravihar Digdarshan Part 01
Author(s): Yatindravijay
Publisher: Saudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh
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________________ (224 ) पहले ही से पड गई / इससे उसने यहाँ के अधिवासियों को कहा कि तुम इस नगर को छोड़ कर भग जाओ, क्योंकि यह नगर अमुक दिन जल के भस्म हो जायगा / मुनि के कथनानु निकल गये और दूर जाकर बस गये, इन्हीं की बसति का नाम राधनपुर हुआ / वस सब लोगों के निकल जाने बाद भीलडिया एकदम जल के भस्म हो गया / ____ इस घटना की सत्यता दो बात से मानी जा सकती है / एक तो यह कि यहाँ की जमीन खोदनेसे दो तीन हाथ ऊंडाई से राख के थर और इमारतों के खंडेहर देख पडते हैं / दूसरी बात यह कि राधनपुर के अनेक कुटुम्ब विवाहादि प्रसंगो पर यहाँ अब तक अपनी कुलदेवी का जुहार करने को आते हैं। प्राचार्य मुनिसुन्दरसूरिजीने स्वरचित गुर्वावली में भी लिखा है किश्रुतातीशायी पुरि भीमपल्ल्यां वर्षासु चाद्यपि हि कार्तिकेऽसौ। अगात्प्रतिक्रम्य विबुद्धय भाविभङ्गं परैकादशभूर्यबुद्धम् / 63 / - -अतिशयवान् श्रुतज्ञान के धारक (आचार्य धर्मघोष के शिष्य श्रीसोमप्रभसूरि ) भीमपल्ली नगरी में चोमासे रहे। इस चातुर्मास में दो कार्तिक थे इससे शास्त्र-नियम प्रमाणे दूसरे कार्तिक की सुदि में चोमासी प्रतिक्रमणकरके चातुर्मास समाप्त करने का था, किन्तु लग्नकुंडली के बारहवें भुवन में पडे हुए सूर्य पर से मालूम हुआ कि थोडे ही दिन में इस नगर का भंग होनेवाला है / अतएव प्रथम कार्तिक में ही चोमासी प्रति. क्रमण करके सोमप्रभसूरिजी भीमपल्ली से विहार कर गये।