Book Title: Yatindravihar Digdarshan Part 01
Author(s): Yatindravijay
Publisher: Saudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh
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________________ (230 ) सन् 1740 इस्वी में नवाब कमालुद्दीनखान को यह जागीर जागीरदार तरीके, अथवा फोजदारी चलाने के लिये सोंपी गई / कमालुद्दीनखानने सन् 1759 में सरधराशाखा के मोखाड़ा के खानजी वाघेला को यह जागीर दे दी। खानजीने अपनी अक्ल और जोरावरी से इस जागीर पर स्वतंत्र अधिकार कर लिया / तब से अब तक यह जागीर खानजी के वंशजों के ही अधिकार में है। खानजी से वर्तमान ठाकुर तक वंशवृक्ष इस प्रकार है 1 खानजी आनन्दसिंह 2 हरभमजी 3 करणसिंह बनाजी पर्वतसिंह 4 खेंगारजी भूपतासंह पृथीराज 5 अभयसिंह 6 दोलतसिंह रायसिंह 7 भीमासिंह केसरीसिंह भगवानसिंह जोरावरसिंह