Book Title: Yatindravihar Digdarshan Part 01
Author(s): Yatindravijay
Publisher: Saudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh
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________________ (26) " थारापद्रीयसंताने, सोमरुपालवल्लभः शांत्यमात्यो महीख्यातः, धावकोऽजनि सत्तमः॥१॥ भार्या तस्य शिवादेवी, श्रेयसे प्रतिमामिमां / नीनगीग्ययोः सुन्वोः, कारयामास निर्मलं / / 2 // " ___ --सं० 11 16 में थारापद्र (थराद ) निवासी सोमरुप ल के पुत्र पृथ्वी में प्रसिद्ध और परमश्रावक शांति नामक मांत्र की स्त्री शिवादेवी के पुण्यार्थ उनके पुत्र नीन्न और गीगीने यह प्रतिमा भराई-वनवाई। 2 कडी प्रान्त के रांतेज गांव का मंदिर. " संवत् 1157 वैशाख सुदि 10 श्रीथारापद्रीयगच्छे श्रीशालिभद्रसूरौ मुभद्रासुतया ठरघुकया स्वात्मदुहितुः महबायाः श्रेयोऽर्थं रातइजस्थ श्रीपार्श्वदेववि कारितमिति / -सं० 1157 वैशाखसुदि 10 के दिन थारापद्रगच्छीय शालिभद्रसूरि के समय में सुभद्रा की पुत्री ठ० रघुकाने अपनी पुत्री सूहवा के श्रेयके लिये रांतेज में पार्श्वनाथ भगवान का बिम्व कराया। 3 श्रमिाल का महावीर मंदिर-- " यः पुरात्र महास्थाने, श्रीमाले स्वयमागतः / स देवः श्रीमहावीरो, देयाद्वः सुखसंपदं // 1 // पुनर्भवभवत्रस्ताः , संतोऽयं शरणं गताः। तस्य वीरजिनेन्द्रस्य, पूजार्थ शासनं नवं / / 2 //