Book Title: Yatindravihar Digdarshan Part 01
Author(s): Yatindravijay
Publisher: Saudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh
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________________ (222) 187 वरनोडा इस गाँव में धर्मजिज्ञासु और जैन साधुसाध्वियों के भक्त जैनों के पांच घर हैं। यहाँ उपासरा या जिनमन्दिर नहीं है / 188 भीलडिया यह गाँव पालनपुर एजन्सी में डीसारोड से 16 मील के फासले पर पश्चिम दिशा में है। इसके प्राचीन नाम भीमपल्ली और त्रंबावती हैं / यह तीर्थस्थान है / और कईएक स्तोत्र तथा चैत्यपरिपाटी ( तीर्थमाला ) ओं में इस स्थल को तीर्थरूप मान कर वन्दन किया गया है / इस समय यह छोटा गाँव है और गाँव में धर्मशाला के अन्दर एक तरफ गुंबजबाला गृहमन्दिर है जिसमें कतिपय छोटी बड़ी जिनप्रतिमाओं के सहित मूलनायक श्रीनेमनाथ भगवान् की 1 // फुट बडी मूर्ति विराजमान है जो सं० 1892 की प्रतिष्ठित है और प्रतिष्ठाकार तपागच्छ के कोई श्रीपूज हैं। इसके बाहर एक ताक में अम्बिकादेवी की प्रतिमा है, उसके नीचे लेख खुदा हुआ है कि ' सं० 1344 वर्षे ज्येष्ठसुदि 10 बुधे श्रे० लखमसिंहेन अंबिका कारिता।' ___ गाँवसे पश्चिम किनारे पर एक विशाल धर्मशाला है जो नयी बनी है और इसमें एक कुआ, एक भोजनालय, एक वांचमालय तथा 58 कोठरियाँ है / इसके एक भाग में उत्तर तरफ तीन शिखरवाला नया जिनमन्दिर है, जिसमें श्रीमहावीरस्वामी आदि की प्रतिमाएँ विराजमान हैं जो सर्वाङ्ग सुन्दर और दर्शन से चित्त को शान्ति देनेवाली हैं। इसीके नीचे पूर्वद्वार वाला