Book Title: Yatindravihar Digdarshan Part 01
Author(s): Yatindravijay
Publisher: Saudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh
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________________ ( 213) एक जूने समय का बना भोयरा है जिसमें श्यामरंग की तीनफुट बड़ी श्रीपार्श्वनाथ की प्राचीन मूर्ति स्थापित है जो भीलडिया पार्श्वनाथ के नाम से प्रसिद्ध है / इसके दोनों तरफ नेमनाथस्वामी आदि की मूर्तियाँ स्थापित हैं जो प्राचीन और दर्शनीय हैं। ___ इसके आसपास के गाँवों में इस तीर्थ की खूब प्रख्याती है और यहाँ प्रतिवर्ष पोषवदी दशमी का मेला भराता है जिसमें केम्प, डीसा, पाटण, राधनपुर, पालनपुर, थराद, वाव, धानेरा आदि गाँवों से हजारों यात्रालु एकठे होते हैं / इस तीर्थ का वहीवट डीसाटाउन का जैनसंघ करता है / डीसा जैनसंघ के हस्तक होने बाद यह तीर्थ अच्छी स्थिति में आगया है। इस तीर्थ के विषय में जुदी जुदी दन्तकथाएँ प्रचलित हैं। कहा जाता है कि जिस समय राजा श्रेणिक अपने भाईयों के अनबनाव से राजग्रही से चला गया, तब बह परिभ्रमण करता हुआ यहाँ आया और किसी रूपवती भीलकन्या के प्रेम में फंस गया / अपने प्रेम को खींच लेनेवाली भीलडी का प्रसंग चिरस्मरणीय रखने के लिये श्रेणिकने इसका त्रंबावती नाम पलटा कर ' भीलडिया' नाम कायम किया। . इस दन्तकथा में सत्यांश कितना है ? इसको पाठक स्वयं समझ लें / मारतवर्ष में अनेक नगर और तीर्थों के संबन्ध में ऐसी अनेक दन्तकथाएँ खाली महत्त्व बढाने के लिये गढ़ी गई हैं। - दूसरी दन्तकथा यह है कि भीलड़िया, या भीमपल्ली नगर की अकाल घटना होने की खबर किसी निमित्तज्ञ-मुनि को