Book Title: Yatindravihar Digdarshan Part 01
Author(s): Yatindravijay
Publisher: Saudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh
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________________ (191 ) और कलह-प्रेमी हैं। यहाँ एक उपासग और उसके एक विभाग में जुदा प्रतिमा विराजमान करने का स्थान है / परन्तु पारस्परिक कलह के कारण अभी जिनप्रतिमा स्थापित नहीं हुई। 172 पाथेडी- इस गाँव में श्रोसवाल जैनों के 30 घर हैं, परन्तु उनमें कई वर्षों से तीन तहें पड़ी हुई हैं, जो तीन तेरह की उक्ति को चरितार्थ करती हैं। यहाँ के जैन किसी संप्रदाय विशेष के नहीं है किन्तु जैनतरों से भी गये गुजरे हैं। साधुनों के ठहरने लायक यहाँ कोई स्थान नहीं है / गाँव से पश्चिम थोडी दूरी पर एक छोटा देवल है, जिसमें गोडीपार्श्वनाथजी के चरण स्थापित हैं / चरणों के ऊपर के लेख से मालूम होता है कि-सं० 1886 वैशाखसुदि 5 भृगुवार के दिन विजयधमसूरिजी के आदेश से पं० भाग्यावजयजीने प्रतिष्ठा करके इन चरणों की स्थापना की। 173 दासपा__ यहाँ प्रोसवालजैनों के 80 घर हैं, जिनमें मन्दिरमार्गीयों के 50 और स्थानकवासियों के 30 घर हैं / गाँव के मध्य भाग में शिखरबद्ध जिनमन्दिर है, जिसमें श्रीचन्द्रप्रभस्वामी की पोन हाय बड़ी मूर्ति स्थापित है। इसके लगते ही दहिने तरफ पक्का उपासरा है। 174 पादरा एक छोटी पहाडी के पास यह गाँव बसा हुअा है। इस