Book Title: Yatindravihar Digdarshan Part 01
Author(s): Yatindravijay
Publisher: Saudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh
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________________ (218 ) यहाँ तपागच्छ के 80, समकितगच्छ (त्रिस्तुतिक संप्रदाय) के 28 और लोंकागच्छ के 80 घर हैं जो सभी श्रीमाली ओसवाल हैं / गाँव में एक उपासरा दो धर्मशाला, एक स्थानक, एक सार्वजनिक लायब्रेरी और एक श्रीयतीन्द्र जैन शिक्षा प्रचारक युवक नामक मंडल है / गाँव के सदर बाजार में सौधशिखरी भव्य जिन मन्दिर है जिसके नीचे का हिस्सा जो तलघर के नाम से पहचाना जाता है. प्राचीन है और इसके वांये हाथ की भीत के स्तम्भे में 7 पंक्ति का लेख खुदा हुआ है। इससे जान पडता है कि सं० 1674 में देवडा पीथाजी जेपालजी के राज्य में श्रोसवाल श्रीमालज्ञातीय वृद्धशास्वा के शाहजी श्रीरिखवा गोलेने इस मन्दिर ( तलघर ) को बनवाया और इसमें मूलनायक श्री शान्तिनाथजी की प्रतिमा स्थापित की / इसके उपर के भाग में यहाँ के संघने नया सुन्दर शिखरवाला मन्दिर बनवाया है / 185 रामसेण यहाँ श्रीमालओसवालों के 15 घर हैं जो जैन और जैनेतर सभी धर्मों को माननेवाले हैं / गाँव के दक्षिण किनारे पर एक प्राचीन जिनालय है जिसका जीर्णोद्धार थोडे ही दिन पहले हुआ है / इसके नीचे के हिस्से में मजबूत तलघर है जिसमें सफेदवर्ण की तीन तीन फुट बडी श्रीऋषभदेवजी आदि 4 मूर्ति, तीन का उसगिया और चक्रेश्वरीदेवी की मूर्ति बिराजमान हैं। इनके अलावा एक पार्श्वनाथ भगवान की पंच तीर्थी भी है जो डीसाताबे के गाँव सरत वासी कोली ठाकरडा के खेत से मिली है / इसके पृष्टिभाग में लिखा है कि