Book Title: Yatindravihar Digdarshan Part 01
Author(s): Yatindravijay
Publisher: Saudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh
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________________ (100) दीपक राग गाकर 108 दीपक प्रगट किये और उसी समय एक सांप भी प्रगट हुआ जो सुल्तान के सामने गया / इस च. मत्कार को देख कर सुल्तानने मूर्ति तोड़ने का इरादा बंद रक्खा और ये देव तो 'बादशाहों के भी बादशाह हैं' ऐसा कह कर पीछा रवाना हो गया / तभी से ये मूर्ति सुल्तान-पार्श्वनाथ के नाम से प्रसिद्ध हुई। 85 समोड़ा इस छोटे गाँव में श्वेताम्बर जैनों के पांच घर हैं। यहाँ उपाश्रय, धर्मशाला और जिनमन्दिर नहीं है / यहाँ के जैन भावुक, धर्मश्रद्धालु, भक्तिवान् और गुणग्राही हैं / थोड़े घर होने पर भी साधु साध्वियों को किसी तरह की तकलीफ नहीं पड़ती। 86 लूणवा यहाँ श्वेताम्बर जैनों के 20 घर, दो उपासरे और एक जिनमन्दिर है / मन्दिर में मूलनायक भगवान् श्रीवासुपूज्यस्वामी की भव्य मूर्ति स्थापित है जो विक्रम की अठारहवीं सदी की प्रतिष्ठित है। 87 कोदराम इस छोटे गाँव में श्वेताम्बर जैनों के 20 घर, एक उपासरा, और एक जिनमन्दिर है / मन्दिर में श्रीवासुपूज्य भगवान् की प्राचीन मूर्ति बिराजमान हैं। यहाँ के जैन साधु साध्वियों के पूर्ण भक्तिवाले हैं।