Book Title: Yatindravihar Digdarshan Part 01
Author(s): Yatindravijay
Publisher: Saudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh
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________________ ( 99 ) 84 सिद्धपुर ऊंझा से 8 मील उत्तर सिद्धपुर-रेल्वे स्टेशन है, रेल्वे स्टेशन के पास बड़ौदा नरेश की सराय है / इससे आगे यह कसबा सरस्वति नदी के किनारे पर बसा हुआ है जो पुराना और प्रसिद्ध वैष्णव तीर्थस्थल है / इसका दूसरा नाम मातृगया भी है / सरस्वती नदी जिसका दूसरा नाम कुमारिका है जो श्राबू पहाड़ से निकल कर पालनपुर, राधनपुर के राज्य और बड़ोदा राज्य के पाटण सबडिवीजन होकर 100 मील से अधिक दक्षिण-पश्चिम वहने के पीछे कच्छ के रण में जा मिली है, यह कसबे के बाहर ही है / कसबे के पास नदी के किनारे पर पक्का घाट बंधा हुआ है / यहाँ रुद्रमहालय का खंडहर, गोविन्दराव, माधवराव और बिन्दुसार ये स्थान पुराने और देखने योग्य हैं / कसबे से एक मील दूर बिन्दुसार के पास अल्पा सरोवर नामका बड़ा तालाव है / इसके चारों ओर पक्के फाटक बने हुए हैं। यहाँ से एक मील की छेटी पर राजचन्द्र का समाधि-भवन हैं जिसमें राजचन्द्रमत के साधु सेवक रहते हैं। ___यहाँ श्वेताम्बर जैनों के 25 घर, एक उपासरा, एक बड़ी धर्मशाला और दो जिन-मन्दिर हैं / सब से बड़ा मन्दिर सुल्तान-पार्श्वनाथ का है। इसका इतिहास यों प्रसिद्ध है किसुल्तान अलाउद्दीन खूनीने सिद्धपुर के रुद्रमहालय का नाश किया। उसी समय उसने पार्श्वनाथ की मूर्ति-मन्दिर को भी तोड़ने का विचार किया / इस बात का पता लगते ही सिद्धपुर के भोजकोंने अलाउद्दीन बादशाह की हाजिरी में जा कर और