Book Title: Yatindravihar Digdarshan Part 01
Author(s): Yatindravijay
Publisher: Saudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh
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________________ (10) उसने यहाँ शहर वसा के किला बंधवाया और यहाँ भोज का नव पीढ़ी तक अधिकार रहा / जालोर तोपखाने के वि० सं० 1174 के एक शिला-लेख में पवारों की वेशावली इस प्रकार दी है कि 1 वाक्पतिराज, 2 चन्दन, 3 देवराज, 4 अपराजित, 5 विजल, 6 धारावर्ष, और 7 वीसल। विक्रम की तेरहवीं सदी में नांदोल के चौहान कीर्तिपाल (कितुक ) ने जालोर को पंवारों से छीन कर अपने अधिकार में ले लिया और नांदोल को छोड़ कर जालोर के सोनागिर के किले में रहना कायम किया / सोनागिर के किले में रहने के कारण ही कीर्तिपाल के वंशज 'सोनगरा-चौहाण' कहलाये। यहाँ के सोनगग चौहानों की वंशावली इस प्रकार है-१ कीर्तिपाल, 2 समरसिंह, 3 उदयसिंह, 4 चाचिगदेव, 5 सामन्तसिंह, 6 कन्हणदेव, 7 मालदेव, 8 वनवीरदेव, और 6 रणवीरदेव / चौहानों के बाद सन् 1398 के लगभग विहारीपठान मुसलमानों का अधिकार जालोर पर हुआ / उनकी वंशावली इस प्रकार है 1 खुरमखान, 2 युसुफखान, 3 हसनखान, 4 सालारखान, 5 उस्मानखान, 6 बुढनखान, 7 मुजाहिदखान (मुमामलेक ), मुमा मलेक का अपुत्र मरण होने की खबर मिलते ही गुजरात-बादशाह के भेजे हुए अमीर जीवाखान-बमुखान की देखरेख नीचे सन् 151 0 से 1513 तक जालोर रहा। बाद में पीछा विहारी-पठानों के सुपुर्द हुआ। 8 अलीशेरखान, 6 सिकन्दरखान, 10 गजनीखान