Book Title: Yatindravihar Digdarshan Part 01
Author(s): Yatindravijay
Publisher: Saudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh
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________________ (131 ) ऐसा कहा जाता है / इसके चारों तरफ चोवीस देवालय संघके तरफ से नये बनाये गये हैं, जिनकी प्रतिष्ठाजनशलाका सं० 1958 माह सुदि 13 गुरुवार के दिन जैनाचार्य श्रीमविजय-राजेन्द्रसूरीश्वरजी महाराजने की है / मुख्य मन्दिर के पिछले भाग में पंचतीर्थी और राजेन्द्ररत्नटोंक बना हुआ है / टोंक के मूलनायक श्रीशान्तिनाथस्वामी हैं। इस मन्दिर में प्राचीन और अर्थचीन सब मिलाकर 136 मूर्तियाँ हैं / दूसरा मन्दिर श्रीऋषभदेव भगवान् का है, जो इसी कसबे के रहनेवाले जेरूपचन्द कस्तूरजी पोरवाड़ने महाराज श्रीविजवराजेन्द्रसूरीश्वरजी के उपदेश से बनवाया है / इसकी प्रतिष्ठा सं० 1669 ज्येष्ठ सुदि 12 रविवार के दिन महाराज श्री धनचन्द्रसूरिजीने की है। इसमें छोटी बड़ी गट्टाजी के सहित कुल 12 मूर्तियाँ हैं / 116 आहोर सूखड़ी नदी के किनारे पर बसा हुआ जोधपुर रियासत के जालोर परगने में यह अच्छा कसबा है / इसमें श्वेताम्बर जैनों में त्रिस्तुतिक शुद्ध सम्प्रदाय के 450 घर, चतुर्थस्तुतिक–पूनमियागच्छ के 150 घर, दो उपासरे, तीन जैन धर्मशाला, एक प्राचीन हस्तलिखित-जैनागमसंग्रहभंडार और एक सराय हैं। यहाँ पांच जिन-मन्दिर हैं। जिनमें सब से प्राचीन श्रीशान्तिनाथ भगवान् का मन्दिर है, जो सं० 1444 का बना हुआ है / दूसरा मन्दिर सब से बड़ा विशाल श्रीगोडी-पार्श्वनाथ का है, जो दोवरते शिखरवाला और 52 जिनालय है / गोडीजी का मन्दिर गाँव के बाहर है, इसमें प्रवेश करते ही दर्वाजे के भीतरी चौक में दाहिने भाग पर श्रा