Book Title: Yatindravihar Digdarshan Part 01
Author(s): Yatindravijay
Publisher: Saudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh
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________________ (156) ईश्वरसूरि इसी गच्छ के आचार्य हैं / वल्लभी ( वला ) से श्री. आदिनाथजिनालय को उडाके नांडोल लानेवाले आचार्य यशो. भद्रसूरि इसी पंडेरकगच्छ के थे / 135 खिमेल.___ यह कसबा जोधपुर रियासत के गोडवाड परगने में राणी स्टेशन से दक्षिण 2 मील के फासले पर है / यहाँ ओसवालजैनों के 190 तथा पोरवाडजैनों के 10 घर हैं / इनमें स्थानकवासि यों के 7 घर तथा एक जीर्ण थानक है और सनातनत्रिस्तुतिक श्वेताम्बरजैनसंप्रदाय के 25 घर हैं, जो श्रद्धालु विवेकी, धर्मप्रेमी और भक्तिसंपन्न है / इन्हों की सदर बाजार के बीच में दोमंजिली और पक्की धर्मशाला है, जिसमें 250 श्रावक श्राविका आनन्द से बैठ सकते हैं / इसके अन्दर की दहिने तरफ की भीत के ऊपर इस प्रकार एक शिलालेख लगा है____ ॐनमोऽस्तु सिद्धेभ्यः / जैनाचार्य श्रीसौधर्मबृहत्तपागच्छीय कलिकालसर्वज्ञकल्प श्री श्री 1008 श्रीमद्भट्टारक श्री विजयराजेन्द्रसूरीश्वरजी महाराज के सदुपदेश से यह धर्मशाला बनवाई / श्रीसकल तीनथुइवालोंने संवत् 1948 फाल्गुनसुदि 1 दिने / इसलिये इस धर्मशाला में तीनथुईवालों की मुकत्यारी है दूसरों की नहीं है, मुकाम नगरखिमेल, सर्वेषां शुभं भवतु / यहाँ प्राचीन जैनमंदिर के सामने जैनाचार्य श्रीमद्विजयरा. जेन्द्रसूरीश्वरजी महाराज का समाधिमन्दिर बना हुआ है, जो