Book Title: Yatindravihar Digdarshan Part 01
Author(s): Yatindravijay
Publisher: Saudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh
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________________ (164) के 15 घर हैं और उनकी धर्मशाला भी जुदी है। त्रिस्तुतिकों के सिवाय प्राय: सभी जैन जैन-भावना से रहित और क्लेश-प्रिय हैं। गाँव में चार धर्मशाला, दो उपासरे और पांच सौधशिखरी जिन-मन्दिर हैं / जिनमें से तीन में श्रीआदिनाथ, एक में श्रीशा. न्तिनाथ और एक में श्रीपार्श्वनाथजी मूलनायक हैं / मोटे मन्दिर के नाम से प्रसिद्ध बाजारवाले जिनालय में सब से प्राचीन और शेष में सभी नवीन प्रतिमाएं स्थापित हैं। 148 जुआणा___यहाँ जैनों के धार्मिक-भावना शून्य चार घर हैं, जो कहने मात्र के जैन हैं परन्तु जैनोंतरों से भी गये गुजरे हैं और जैनसाधुओं को देख कर घरों में ताले लगा लेते हैं, या देखते ही दूसरे गांव चले जाते हैं। 149 भारंदा इस गाँव में ओसवाल जैनों के 90, घर एक उपासग, एक धर्मशाला और एक शिखरवाला सुंदर मन्दिर है / इसमें मूलनायक श्रीशान्तिनाथजी की 3 फुट बडी भव्य मूर्ति मय दो मूर्तियों के बिराजमान है, जो नवीन हैं / बाह्य-मंडप में सर्वाङ्गसुन्दर नवीन प्रतिष्ठित दो मूर्तियाँ स्थापित हैं / 150 फतापुरा बालीपरगने में जोधपुर रियासत का यह छोटा गाँव है, जो एरनपुरा-छावनी से 8 मील पश्चिम है और एरनपुर-छावनी पोस्ट के हलके में हैं / यहाँ प्रोसवाल जैनों के 35 घर हैं, जो