Book Title: Yatindravihar Digdarshan Part 01
Author(s): Yatindravijay
Publisher: Saudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh
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________________ (156) है और इसके उत्तर अर्ध-मील छेटी पर सूखडी नामक नदी है / यहाँ जैनों के 12 घर हैं, जो पोरवाड और विवेक-विहीन हैं। यहाँ एक छोटा उपासरा और एक छोटा शिखरवाला जिन-मन्दिर हैं जिसमें मूलनायक श्रीपार्श्वनाथ की छोटी प्रतिमा स्थापित है, जो अर्वाचीन है। 154 हरजी____ जोधपुर-रियासत के जालोर परगने में सूखडी नदी के वांये किनारे पर वसा हुआ यह कसबा है / इसमें ओसवालों के 25 और पोरवाडों के 250 घर है। जिनमें सनातन-त्रिस्तुतिक संप्रदाय के 145 घर हैं और उनकी एक पक्की दो मंजिली अच्छी धर्मशाला है / इसीकी एक कोठरी में छोटा ज्ञानभंडार है जिसमें मुद्रित और हस्तलिखित ग्रन्थों के 25 बिंडल है / गाँव के सदर बाजार में एक सौधशिखरी मन्दिर है जिसमें श्रीऋषभदेव भगवान् की सफेदरंग की सवा हाथ बडी भव्य मूर्ति मय दो प्रतिमाओं के स्थापित है, जो सातसौ वर्ष की पुरानी है। गाँव से दक्षिण बाहर एक विशाल-शिखरवाला नया जिनालय तैयार हो रहा है उसमें बिराजमान करने के लिये पाषाण की 30, सर्वधात की 9, सर्वधात के गहाजी 18 और श्रीविजयराजेन्द्रसरिजी महाराज की मूर्ति 1, गाँववाले मंदिर के वांये भाग की त्रिस्तुतिकधर्मशाला की एक ओसारी में रक्खी हुई हैं। इनमें मूलनायक श्रीऋषभदेव भगवान् की सर्वघात की दो हाथ बड़ी अतिसुन्दर मूर्ति है / उसकी पलांठी पर इस प्रकार लेख खुदा हुआ है