Book Title: Yatindravihar Digdarshan Part 01
Author(s): Yatindravijay
Publisher: Saudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh
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________________ (159) द्रव्य से इस मंदिर को बनवाया और मेडतियावंशीय प्रताप सिंहजी के राज्य में समस्त श्री संघ के सहित श्रीपूज मुनि. चन्द्रसूरिजीने सं० 1964 माघसुदि 5 बुधवार के दिन प्रतिष्ठा करके शान्तिनाथ की मूर्ति विराजमान की / ' मन्दिर के बगल में ही पक्की दो मंजिली धर्मशाला है और दूसरी दूसरे बगल पर है / पंचतीर्थी की यात्रा के लिये आनेवाले यात्री इन्हीं धर्मशाला में विश्राम लेते हैं / यहाँ के जैन धर्म के जिज्ञासु और साधुओं के भक्त हैं / 138 राणी यह राणी-स्टेशन के पास ही 1 मील के फासले पर वसा हुआ अच्छा गाँव है / यहाँ जैनों के 150 घर, 4 धर्मशाला, एक उपासरा और एक जिन-मन्दिर शिखरबद्ध है। मन्दिर में मूलनायक श्रीशान्तिनाथजी की भव्य-प्रतिमा स्थापित है, जिसकी प्रतिष्ठा सं० 1856 माहसुद 5 के दिन खरतरगच्छीय श्रीपूज श्रीचन्द्रसूरिजी के हाथ से हुई है / यहाँ जैनपाठशाला भी है, जिसमें धार्मिक और व्यवहारिक शिक्षण दिया जाता है / इसके मास्तर भीखचंदजी अच्छे श्रद्धालु और समझदार हैं। 136 ब्राह्मी ( बरामी) यह छोटा गाँव है, इसका दूसरा नाम बरामी है, जो ब्राह्मी का ही अपभ्रंस है / इसमें ओसवाल जैनों के 35 घर, 1 धर्मशाला और 1 जिन-मन्दिर है / मन्दिर में मूलनायक श्रीशान्तिनाथजी की भव्य प्रतिमा स्थापित है।