Book Title: Yatindravihar Digdarshan Part 01
Author(s): Yatindravijay
Publisher: Saudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh
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________________ (144) मन्त्रीने अपनी मातुश्री उदयश्री के कल्याणार्थ श्रीशान्तिनाथ की प्रतिमा स्वयं कारित मन्दिर में सं० 1288 ज्येष्ठ सुदि 13 बुधवार के दिन श्री शान्तिसूरिजी से प्रतिष्ठा कराके मादडी-गाँव में विराजमान की। इस लेख से जान पडता है कि उपरोक्त दोनों प्रतिमाओं की प्रतिष्टा भी इसी अरसे में हुई होगी.। इसी प्रकार तारीख 21-10-27 के दिन दो कायोत्सर्गस्थ, और एक पद्मासनस्थ एवं तीन प्रतिमाएँ दूसरी वार निकली थीं। ये प्रतिमाएँ भी सफेद-वर्ण की और कायोत्सर्गस्थ-मूर्ति चार फूट चार इंची, तथा पद्मासनस्थ मूर्ति एक फूट चार इंची बडी है | कायोत्सर्गस्थ दोनों मूर्तियों पर एक ही प्रकार का यह लेख है___ संवत् 1288 वर्षे ज्येष्ट सुदि 13 बुधे पंडेरकगच्छं श्री यशोभद्रभूरिसन्ताने दुःसाधु-श्रीउदयसिंह पुत्रेण मन्त्री-श्री यशोवीरेण स्वमातुः वाट्यां जिनयुगलं कारितं, प्रतिष्ठितश्च श्रीशान्तिसूरिभिः। ___इसी मतलब का लेख पद्मासनस्थ-मूर्ति पर भी है / इसके अलावा गाँव के मध्य-भाग में सतियों का चोतरा' है, इसमें एक जिनमन्दिर का बारसाख लगा है, जिस पर भी सं० 1666 खुदा हुवा देख पडता है / इन लेखों में इस गाँव का प्राचीन नाम * मादडी' ही जान पडता है, लेकिन वर्तमान में यह माद्री के नाम से प्रसिद्ध है, जो मादडी का ही अपभ्रंस है। अस्तु, इन उपरोक्त लेखों से निश्चित है कि-किसी समय ( सं०