Book Title: Yatindravihar Digdarshan Part 01
Author(s): Yatindravijay
Publisher: Saudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh
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________________ (148) 127 नोवी इस छोटे गाँव में जैनों के 100 धर, दो धर्मशाला और दो शिखरवाले जिन-मन्दिर हैं / सब से बड़े पंचायती मन्दिर में मूलनायक श्रीचन्द्रप्रभस्वामी की दो फुट बडी सफेद मूर्ति स्थापित है / इसकी अंजनशलाका सं० 1955 फागुणवदि 5 के दिन आहोर में श्रीपूज्य-जिनमुक्तिसूरि के हाथ से हुई है / जिस दिन से यह मूर्ति गाँव में लाई गई है उस दिन से इस गाँव में तीन तेरह की नोबत बजने लगी है / खोटे मुहूर्त में अंजनशलाका करने से कैसा नुकशान होता है ? इस बात को समझने के लिये यहाँ की हालत ही वस समझना ( जानना ) चाहिये / दूसरा मंदिर अभी अधूरा ही पडा है और गाँव-कलह के वजह से पूरा होने की आशा रखना भी कठिन है। 128 छोटालखमावा यहाँ जैनों के 2 अर और एक गृह-मन्दिर है / मन्दिर में मूलनायक श्रीऋषभदेवजी की एक फुट बडी मूर्ति स्थापित है। यहाँ पूजा का प्रबन्ध रोवाडा-संघ के तरफ से है, पर आशातना बहुत हैं. देख-रेख बराबर नहीं है। 126 मोटा लखमावा.. यहाँ जैनों के 10 घर हैं और 1 गृह-मन्दिर है / मूलनायक श्रीगोडी-पार्श्वनाथ की सवा फुट बडी मूर्ति बिराजमान है, जो अतिसुन्दर है / इसकी अजनशलाका श्राहोर में संवत् 1655 फाल्गुनसुदि 5 के दिन श्रीमद्-विजयराजेन्द्रसूरीश्वरजी महाराज के हाथ से हुई है।